Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

दस्तक

दस्तक

लेखक मनोज मिश्र इंडियन बैंक के अधिकारी है|

दे रहा हूँ फिर से दस्तक बुरा मत मानना
हमसफर हूँ मैं तेरा इसको पहचान ना
तेरे कदमों तले रख दूंगा जन्नत जाने जाँ
तेरी एक मुस्कुराहट है मेरा पूरा जहां


चार दिन में पसरी हुई जिंदगी है जमाना
सही बात है कौन रखता है सामान पुराना
तीन दिन तो जी गए सब अपने लिए
चौथे दिन में तो होगा ही सुनना सुनाना


मिसर जीने की हवस कुछ होती है ऐसी
खुद ही लगने लगता है यही आशियाना पुराना
कौन क्या कहता है इस पर न जाओ यारो
कल भी जिये थे शान से आज भी जारी है तराना -
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ