हनुमत वंदना
केशरी नंदन, हे जग बंदन,तुझको करूँ प्रणाम हनुमत,
ऐसा दो कुछ ग्यान, हनुमत,
मन में धरूं तेरा ध्यान।
हनुमत , मन में धरूं तेरा ध्यान।।
मन है चंचल, काया में नहीं बल,
ज्ञान शून्य हूँ, बुद्धि हीन हूँ,
एक भरोसा तेरा हनुमत,
मन में नहीं अभिमान, हनुमत,
कैसे धरूं तेरा ध्यान, हनुमत,
तुम ही जगाओ ज्ञान।
हनुमत, मन में धरूं तेरा ध्यान।।
तेरे कृपा से राम को पाऊँ,
राम नाम का अलख जगाऊँ,
बल, बुद्धि, विद्या दे दो मुझको,
भजता रहूँ श्री राम।
हनुमत, मन में धरूं तेरा ध्यान।।
बल दो लेकिन अहम् न आये,
सब प्राणी को शीश झुकाये,
बुद्धि का फल राम भक्त हो,
विद्या राम नाम गुण गाये।
इतनी कृपा करो हे हनुमत,
तुझको बारंबार प्रणाम।
हनुमत, मन में धरूं तेरा ध्यान।।
जय प्रकाश कुंवर
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