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स्वाभिमान साहित्यिक मंच पंजाब ने आयोजित किया 34वां राष्ट्रीय कवि दरबार

स्वाभिमान साहित्यिक मंच पंजाब ने आयोजित किया 34वां राष्ट्रीय कवि दरबार

— दुर्गेश मोहन, बिहटा (पटना)

पटियाला, पंजाब।
स्वाभिमान साहित्यिक मंच द्वारा 34वां राष्ट्रीय कवि दरबार बड़े ही गरिमामय और साहित्यिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ। मंच के अध्यक्ष नरेश कुमार आष्टा के संयोजन में आयोजित इस काव्य-आयोजन की अध्यक्षता प्रसिद्ध चित्रकार एवं लेखक सिद्धेश्वर जी ने की, जबकि संचालन का दायित्व पटियाला की जानी-मानी कवयित्री जागृति गौड़ जी ने पूरी कुशलता के साथ निभाया।

कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ, जिसके बाद हालिया विमान दुर्घटना के शोकसंदर्भ में उपस्थित सभी साहित्यकारों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

देशभर से आमंत्रित कवियों ने अपनी भावपूर्ण रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को साहित्य की विभिन्न रंग-छटाओं से सराबोर कर दिया।

पटियाला की डॉ. इंद्रपाल कौर ने भावुक रचना "शीशा, दिल, धागा, रिश्ते बड़े ही नाजुक होते हैं" से सबका मन छू लिया।

पटना की श्रुति कीर्ति अग्रवाल की ओजस्वी कविता "फिर विनाश हो गया रावण का" ने श्रोताओं में नई चेतना का संचार किया।

दिल्ली से पधारे संतोष पुरी ने अपनी रचना "सवेरे-सवेरे जब पनघट पर गोरिया आ जाती हैं" के माध्यम से ग्रामीण सौंदर्य और सांस्कृतिक बिंबों को जीवंत किया।

कानपुर की निधि मद्धेशिया की "जिसकी याद ने मन को छला उम्र भर" और पटना के सदानंद प्रसाद की "कि खफा होना भी जरूरी है खुशी पाने के लिए" जैसी रचनाओं ने प्रेम, वेदना और जीवन के मनोवैज्ञानिक पक्षों को सुंदर अभिव्यक्ति दी।

दिल्ली के घनश्याम जी ने दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल "प्यार करके ना ऐसे मुकर जाइए, आपको है कसम अब ठहर जाइए" पेश की, वहीं भूपेंद्र देव सिंह ताऊ जी ने अपने अनुभवों से उपजी संघर्षमयी कविताओं से श्रोताओं को प्रेरित किया।

संचालिका जागृति गौड़ ने संचालन के साथ-साथ अपनी प्रभावशाली रचना "भूल चुके हैं आज हम अपने आचार-विचार..." से समसामयिक सामाजिक मूल्यों पर चिंतन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के समापन पर अध्यक्ष सिद्धेश्वर जी ने सभी रचनाकारों की सराहना करते हुए अपनी ग़ज़ल "जो भी लिखा सच्ची जुबानी लिखा, आग को आग पानी को पानी लिखा" सुनाकर तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी।

मीरा सिंह 'मीरा' और दुर्गेश मोहन ने भी अपनी काव्य प्रस्तुति से कार्यक्रम को विशेष ऊंचाई प्रदान की।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में आयोजक नरेश कुमार आष्टा ने मंच की छह वर्षों की साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वाभिमान साहित्यिक मंच ने न केवल 20 से अधिक संकलनों का प्रकाशन किया है, बल्कि 100 से अधिक रचनाओं के संगीतबद्ध वीडियो भी तैयार किए हैं। मंच द्वारा निरंतर ई-मासिक पत्रिका का प्रकाशन कर नवोदित साहित्यकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है।

इस पूरे कार्यक्रम का स्वाभिमान साहित्य चैनल पर सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) किया गया, जिसे देश-विदेश के दर्शकों ने सराहा और सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दीं।

कार्यक्रम की सफलता में सभी रचनाकारों, श्रोताओं और तकनीकी टीम का योगदान सराहनीय रहा। स्वाभिमान परिवार ने इस अवसर पर सभी साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। यदि आप इसे PDF, पोस्टर या पत्रिका पृष्ठ के रूप में डिज़ाइन करवाना चाहें तो मैं उसमें भी सहायता कर सकता हूँ।

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