भारत का भूगोल,अद्भुत अनुपम अनमोल
पर्वतराज मुकुट उत्तर शोभा,दक्षिण पावन हिंद महासागर ।
सदाबहार वनवाई पूर्व,
पश्चिम रेगिस्तान अभिजागर ।
मध्य सरित स्वर कल कल,
अंतःकरण अमिय निर्झर घोल ।
भारत का भूगोल,अद्भुत अनुपम अनमोल ।।
हिंद भूमि सौंदर्य आगार,
शांति अहिंसा संदेश स्थल ।
पुनीत सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र धार,
समतल उपजाऊ मैदान सकल ।
कृषि अर्थव्यवस्था परम घटक,
उद्योग सेवा क्षेत्र प्रगति ढोल ।
भारत का भूगोल,अद्भुत अनुपम अनमोल ।।
राजस्थान मरुस्थल अल्प नीर,
दक्षिण नीलगिरि चाय बाग सुहाने ।
मेघालय चेरापूंजी अति वृष्टि,
केरल खाड़ी नारियल तरु गाने ।
पश्चिम गुजरात कच्छ रण अनघट,
गोवा लहरें पर्यटन प्रणय मेलजोल ।
भारत का भूगोल,अद्भुत अनुपम अनमोल ।।
अंडमान-लक्षद्वीप छटा अनूप,
मनमोहक मोती सा सागर ।
चारों दिशाएं विविध श्रृंगार,
उरस्थ भव्य राष्ट्र एकता गागर ।
पर्वत पठार झील नदी मनोरम,
माध्य साध्य प्रगति खुशियां माहौल ।
भारत का भूगोल,अद्भुत अनुपम अनमोल ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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