प्रतिभाएं मुरझा रहीं,अंकों के जंजाल से
दोष पूर्ण परीक्षा प्रणाली,अवांछित सामाजिक होड़ ।
गौण विद्यार्थी रुचि अभिरुचि,
चाह अग्र अंध प्रतिस्पर्धा दौड़ ।
चक्र व्यूह निजी शिक्षण संस्थान,
ध्येय लाभ मृग मरीचिकी चाल से ।
प्रतिभाएं मुरझा रहीं,अंकों के जंजाल से ।।
विस्मृत नैसर्गिक गुणवत्ता,
सृजन क्षमता उपेक्षा शिकार ।
अति अपेक्षा स्वभाव प्रतिकूल,
प्रभाव बाल मन उदय विकार ।
सृष्टि पटल हर व्यक्ति उत्तम,
प्रयास सही चमक भाल से ।
प्रतिभाएं मुरझा रहीं,अंकों के जंजाल से ।।
वर्तमान काल अंक श्रेष्ठता,
सामाजिक प्रतिष्ठा मापदंड ।
तिरोहित कम अंक अर्जन,
विद्यार्थी जोश उत्साह विखंड ।
परिणाम हीन भावना उत्पन्न,
विद्यार्थी चाह मुक्त जीवन जाल से ।
प्रतिभाएं मुरझा रहीं,अंकों के जंजाल से ।।
बुद्धिजीवी वर्ग नैतिक कर्तव्य,
गहन चिंतन समस्या मूल बिंदु ।
परिवर्तन परीक्षा आकलन विधि,
प्रयास खोज विद्यार्थी हिय सिंधु ।
करबद्ध निवेदन शिक्षक वृंद,
अब समता स्वर शिक्षण ताल से ।
प्रतिभाएं मुरझा रहीं,अंकों के जंजाल से ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com