शब्दाक्षर द्वारा महात्मा बुद्ध की जयंती पर कवि गोष्ठी

विगत सायं जांगिड अस्पताल परिसर में महात्मा बुद्ध की जयंती के अवसर पर शब्दाक्षर राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था राजस्थान प्रदेश इकाई के तत्वाधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शब्दाक्षर राष्ट्रीय संरक्षक डाॅ दयाशंकर जांगिड ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महेश मिश्र थे। मुख्य वक्ता शिक्षाविद डाॅ जगदीश प्रसाद कड़वासरा थे।
विशिष्ट अतिथि इंजीनियर भंवरलाल जांगिड प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार जांगिड थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में परिंडे लगाये तथा गत वर्ष स्थापित भव्य गौतम बुद्ध की मूर्ति पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किये गये। सरस्वती वंदना सुरेश कुमार जांगिड ने की।
मुख्य वक्ता डाॅ जगदीश प्रसाद कड़वासरा ने भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हुये उनके जीवन पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि बुद्ध के सिद्धांतो मे अटूट सत्य है दुख की परिभाषा, दुख के कारण, निवारण व निवारण का रस्ते पर प्रकाश डाला। आपने बताया कि बुद्ध जब घर से निकले तो उनको रास्ते मे हर प्राणी दुखी मिला। वे स्वयं भी इससे दुखी हुये। वृक्ष के नीचे बैठकर कई वर्षो तक तपस्या कर ज्ञान की ज्योति दुनिया के लिए जागृत की। इंजीनियर भंवरलाल जांगिड ने कहा कि यद्यपि बुद्ध धर्म के अनुयायी हमारे देश मे एक प्रतिशत भी नही है लेकिन आस पास के देशो में बहुतायत से मिलते है। बुद्ध धर्म व सनातन धर्म मे टकराव हुआ। धर्म गुरूओ ने मध्य का रास्ता निकाला। धर्म में अपने अपने सिद्धांत होते है। उन्होने मूर्तिपूजा का विरोध किया था। आज भी उनकी याद मे लोगो ने बुद्ध की भव्य मूर्ति लगाई है। मुख्य अतिथि पद से बोलते हुये महेश मिश्र ने कहा कि हम सबको पता है कि अच्छी बातें करनी चाहिये लेकिन ऐसा होता नहीं है। उनके जीवन मे हम प्रेरणा ले तो हमारा जीवन भी श्रेष्ठ हो सकता है। जगदीश प्रसाद जांगिड ने बुद्ध के संस्मरण सुनाते हुये कहा कि उनकी पत्नि ने उनसे कहा कि अगर वे उनसे पूछकर जाते तो वो सहर्ष उनको तपस्या के लिये भेज देती। डाॅ दयाशंकर जांगिड ने कहा कि भगवान बुद्ध का जन्म इसी दिन हुआ। इसी दिन उनको दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ व इसी दिन उनका महाप्रयाण हुआ। उनके सिद्धांत मनुष्य मे करूणा दया जीवों व वनस्पति के प्रति प्रेम पर हमे शिक्षा लेनी चाहिये। आपने कहा कि जीवन में सुख और दुख कुछ नहीं होता है यह सिर्फ मनुष्य की अनुभूति है। सभी सुविधाओं युक्त लोग भी दुखी रहते है दूसरी ओर गरीबी मे रहने वाले सुखों का अनुभव करते है। आपने कहा कि शांति का मार्ग अच्छा है। शांति का रास्ता शक्ति की ओर जाता है।
काव्य गोष्ठी में कवि रमाकान्त सोनी सुरेश कुमार जांगिड, डाॅ अंबरिश शर्मा ने महात्मा बुद्ध के जीवन पर कविताएं प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में डाॅ मनीष, डाॅ मीनाक्षी, डाॅ शिखरचंद जैन, रिद्धकरण बासोतिया, पंकज शाह, मुरली मनोहर चोबदार, संतोष जांगिड गंगाधर मील आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन रमाकांत सोनी ने किया। समापन राष्ट्रीय गान के साथ किया गया।
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