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"मौन बोले और मुस्कान जीते"

"मौन बोले और मुस्कान जीते"

जीवन की दौड़ में कोई सफलता की तलाश में है, परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि सफलता केवल मेहनत या प्रतिभा से नहीं, बल्कि कुछ सूक्ष्म जीवन-मूल्यों से भी प्राप्त होती है। "सफल लोग हमेशा दो चीजें अपने होंठों पर सदा रखते हैं: मौन और मुस्कान। मुस्कान समस्याओं को सुलझाने के लिए, और मौन समस्याओं से बचने के लिए।" यह उद्धरण जीवन के दो अनमोल सूत्रों को उजागर करता है – मौन और मुस्कान।


मुस्कान, एक सरल भाव है, पर इसकी शक्ति असाधारण होती है। यह न केवल आपके आसपास सकारात्मकता फैलाती है, बल्कि आपके भीतर की उलझनों को भी सुलझाने में सहायक होती है। तनावपूर्ण परिस्थितियों में एक मुस्कान न केवल आपके आत्म-नियंत्रण को दर्शाती है, बल्कि दूसरों को भी शांति का अनुभव कराती है।


वहीं, मौन एक ऐसी ढाल है जो हमें अनावश्यक विवादों और उलझनों से बचाता है। जब हम हर बात का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं समझते, तब हम अपने विचारों, ऊर्जा और समय की रक्षा करते हैं। मौन का अभ्यास हमें भीतर से दृढ़ बनाता है और विवेकशील निर्णयों की ओर प्रेरित करता है।


जीवन की कला इसी में है कि हम कब मुस्कराएं और कब मौन रहें — क्योंकि कभी-कभी शब्दों से अधिक प्रभावशाली होती है मुस्कान की मधुरता और मौन की गहराई। यही दो साधन, हमें न केवल सफल, बल्कि संतुलित और शांतिपूर्ण जीवन जीने की राह दिखाते हैं।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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