सैनिक बल के मनोबल बढ़ावे खातिर
बढ़त जा चढ़त जा ,राष्ट्र गान पढ़त जा ,
नवराष्ट्र के स्वागत में ,
नव इतिहास गढ़त जा ।
देश के जवान बा ,
देशवा के शान बा ,
जवान के जवानी ,
राष्ट्र पर कुर्बान बा ।
जवान के जवानी बा ,
भारत के कहानी बा ,
जवान के जवानी में ,
भारत ई जवान बा ।
राष्ट्र के तू बाड़s जवाॅं ,
राष्ट्रहित में बाड़s रवाॅं ,
अरि पड़े सामने यदि ,
सोझे ले झोंक द अवाॅं ।
अरि के सीना तोड़ द ,
हाथ पकड़ मरोड़ द ,
अरि सामने जईसे देखs ,
अंग भंग कर छोड़ द ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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