मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र
जय प्रकाश कुवंर
आज कल भारतवर्ष में हिन्दू धर्म और हिन्दू देवी देवताओं के उपर, खासकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र के उपर तरह तरह की टिप्पणियां सुनने को मिल रही हैं। कुछ लोग तो इस देश में ऐसे भी हुए हैं जो हिन्दू के अलावा किसी अन्य धर्म का होकर भी अपना नाम राम के साथ जोड़कर अपना पुरा जीवन बिता दिए हैं, परंतु राम का नाम लेने से ऐसे लोगों को परहेज रहा है। कुछ ऐसे लोग भी हैं जो श्री राम के जगह सियाराम और माता काली कहना ज्यादा श्रेयस्कर समझते हैं, परंतु जय श्री राम कहना उन्हें पसंद नहीं है। अब तो भारतवर्ष में हिन्दू देवी देवताओं के उपर कुछ लोगों द्वारा बिना अनाप सनाप कहे ऐसा लगता है कि राजनीति हो ही नहीं सकती है। भगवान् श्री राम तो आज कल राजनीति के केन्द्र विन्दु बन गए हैं। कुछ राजनीतिज्ञ श्री राम को काल्पनिक बताते हैं। हमारे समझ से ऐसे लोग भगवान् श्री राम द्वारा प्रेरित माया अथवा मोहवश भ्रमित हो गये हैं। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार अतित में भी भगवान् की माया से ग्रसित होकर अनेकों ऋषि मुनियों, ब्रह्मा एवं अनेक देवताओं और नारदजी तथा विष्णु के वाहन गरूड़ जी को भी अनेक नाच नाचना पड़ा था। गरुड़ जी तो विष्णु का वाहन होने के नाते सदा भगवान् के साथ रहते हैं, फिर भी उनको भगवान् की माया ने नहीं बक्शा । राम रावण युद्ध के समय जब निसाचर ने उन्हें नागपाश में बांध दियाऔर उन्हें आकर मुक्ति हेतु नागपाश काटना पड़ा, तो गरूड़ जी को राम के भगवान् होने पर शक हो गया। उनका मानना था कि जिस राम के नाम सुमिरन से मनुष्य भवबंधन मुक्त हो जाता है, उसी राम को निसाचर ने नागपाश में बांध दिया और उससे मुक्त होने के लिए उन्हें किसी और का मदद लेना पड़ा। उन्हें श्री राम की गरिमा यहाँ समझ में नहीं आई और वो भगवान् की माया से ग्रसित हो गये। गरूड़ जी भी यहाँ श्री राम को माया वश भगवान् विष्णु न समझ कर साधारण मनुष्य समझने लगे थे।
इस अज्ञान रूपी माया से छुटकारा पाने के लिए गरूड़ जी को भगवान् भोलेनाथ के मार्गदर्शन पर महान श्री राम भक्त काकभुशुण्डि जी के पास जाकर राम कथा सुननी पड़ी थी। जब काकभुशुण्डि जी ने राम कथा में श्री राम के विसद गुणों का ज्ञान उनको कराया, तब जाकर गरूड़ जी माया से उबर पाये थे और उन्हें श्री राम चरणों में और ज्यादा भक्ति प्राप्त हो पायी थी। काकभुशुण्डि जी ने गरूड़ जी से कहा :-
जो माया सब जग ही नचावा।
जासु चरित लखि काहुं न पावा।।
सोई प्रभु भ्रू बिलास खगराजा।
नाच नटी इव सहित समाजा।।
सोइ सचिदानंद घन रामा।
अज बिग्यान रूप बल धामा।।
ब्यापक ब्याप्य अखंड अनंता।
अखिल अमोघशक्ति भगवंता।।
भगत हेतु भगवान् प्रभु,
राम धरेउ तनु भूप।
किए चरित पावन परम,
प्राकृत नर अनुरूप।।
इस प्रकार काकभुशुण्डि जी के समझाने पर गरूड़ जी को ज्ञान हुआ कि भगवान् श्री राम कौन हैं और किस लिए वो राम रूप में मनुष्य का शरीर धारण कर अपने भक्तों हेतु नाना प्रकार का मानवीय लीला कर रहे हैं ।
आज एक बार फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं और भगवान् की माया से ग्रसित होकर कुछ लोग भगवान् श्री राम के अस्तित्व पर अनाप सनाप टिप्पणियां करते हुए राजनीति कर रहे हैं और हिन्दू एकता में दरार डाल कर राजगद्दी का लाभ उठाना चाहते हैं। ऐसे लोग सनातन धर्म का भी मजाक उड़ा रहे हैं।
मैं तो बस अंत में यही कहना चाहूंगा कि भगवान् श्री राम ऐसे लोगों को अपनी माया से छुटकारा देकर उन को सद्बुद्धि दें ताकि वे हिन्दूत्व और सनातन धर्म का अपमान करना बंद कर श्री राम के उपर टिका टिप्पणी बंद करें और भारतवर्ष के उन्नति में राजनीतिक अथवा अन्य माध्यम से अपना योगदान करें। भविष्य में देशहित में यही अच्छा है।
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