प्यार
सुरेन्द्र कुमार रंजन
प्रेयसी की प्रेरणा के प्रेरित हो कवि बन गया, चाहा या अभियंता बनना पर भिखारी बन गया।
प्यार की नशा इस कदर छाया कि मवाली बन गया,
प्यार की राहों में कोई रोड़ा बना तो बवाली बन गया।
प्यार करना ही जीवन का अब मकसद बन गया,
प्यार के बिना जीना अब मुश्किल - सा हो गया।
प्यार के अभाव में मन विचलित-सा हो गया,
ना जाने जीवन क्यों असंतुलित - सा हो गया।
सावधान! ऐ नौजवानों ना प्यार के चक्कर में पड़ना,
भविष्य उज्जवल बनाना हो तो पढ़ाई ही करना ।
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