Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मुठ्ठी भर लोग

मुठ्ठी भर लोग

--: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
----------------------------------------
मुठ्ठी भर लोग
बनाए रखा
सबको अपना गुलाम
कुछ लोग लड़ते रहे
बाकी बने रहे तमाशबीन
पिटते रहे ताली
कहकर इससे हमें क्या काम
देश और धर्म के लिए
लड़ना उसका काम है
कोई राजा बने या फिर फकीर
अपना बस एक हीं है मुकाम
इन सबसे लेना इंतकाम
जब लूटी जाने लगी
बहन,बेटी, बहुएं
धधकने लगी चिता
और भरने लगे तालाब,नहर,कुएं
तब कुछ ठेस लगा
देखकर कुपरिणाम
फिर भी न लड़ सके संग्राम
वो मुठ्ठी भर ठग
सबको ठगते रहा लगभग
उधर फैलाकर जाति की जहर
और इधर ऊंच नीच कहकर
अगड़ा पिछड़ा देकर नाम
यहां उड़ाता रहा मौज
बस मुठ्ठी भर फौज
रख सबको भयभीत
देश लिया जीत
और हम बने रहे गुलाम
भूल जाओगे देश धर्म
तभी न करोगे यह कुकर्म
बन जाओगे किंपुरुष
फिर न ग्लानि होगी न शर्म
रोज सुबह-शाम
और वो यही किया
हम सबको आपस में लड़ा
हम में पड़ा रहा फूट
और देखते रहे सब खड़ा खड़ा
जलते लूटते अपने धराधम
जो कोई कुछ नहीं सीखा
अपने इतिहास से
फिर छिन जाता है सबकुछ
उसके पास से
यश,कीर्ति,वैभव नाम
----------------------------------------वलिदाद अरवल (बिहार)804402.
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ