Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

नौकरानी

नौकरानी

केवल नौकरानी होती है
कितनी भी ख़ास हो
परिवार नहीं होती है।
तुमने घर संवारा
और
मैंने
घर सँवारने के लिए
बाहर सँभाला।
तुमने घर पर
छत के नीचे रह
रिश्ते जोड़े
और मैं
धूप छाँव बारिश में
घर के लिए
परिवार की ख़ुशी के लिए
स्वत्व को भुला
अर्थ कमाता रहा।
नंगे पाँव भरी दोपहरी
बरसात मे भीगता
कभी
पानी की जगह
आँसू का आचमन
क़मीज़ का फटा कॉलर
बार बार सिले जूते
परन्तु
परिवार के लिए
सदैव नये लाने का प्रयास किया।
अपने श्रम का हिसाब
तुमने बता दिया
नौकरानी बर्तन माँजना
कपड़े धोना डस्टिंग
सब गिना दिया।
क्या
मेरा श्रम
कोई क़ीमत नहीं रखता
मेरा धूप में चलना
तुम्हें नहीं खलता?
तुमने मकान को
घर बनाने का क़िस्सा बता डाला
अपने योगदान को
हिसाब लगा भुना डाला
किसी परेशानी
या शिकायत को
अपने मैके या ससुराल में सुनाकर
हमदर्दी बटोर ली
कभी सोचा
दर्द मुझे भी होगा
तुम सुनती नहीं
किसी और से कह नहीं सकता
क्योंकि
मैं पुरूष हूँ।
मुझे नहीं याद
स्वयं के लिए
मैं कब जिया
जो किया
सब तुम्हारे
व परिवार के लिए किया।
यहाँ तक की
अगर कभी एक रोटी कम खायी
तो तुमने
परिवार को सँभालने की दुहाई दे
जबरन
एक रोटी और खिलायी।
यह सच है कि
तुमने
मकान को घर बनाया
परन्तु
नहीं जानती
मकान में
नींव बनकर
कौन समाया?
दीवारों में
सीमेन्ट की जगह
रक्त मांस मज्जा
किसने लगाया?

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ