Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

रावण का अनुसरण

रावण का अनुसरण

अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगें।
अपने कदमों से ही ये
नष्ट सभी कुछ कर देगें।।
अपना घर जो......।।

अपने अहिंम् के चलते ही ये
किसी की नही सुनते है।
अपनी अक्षमता का श्रेय
औरों के सिर पर मड़ते है।
जो अपनों का हो न सका वो
औरों का क्या होगा अब।
अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगे।।

मानव होकर जो खुदको
भगवान समझ बैठे है।
मन मर्जी अपनी चलाकर
रावण का अनुसरण कर रहे है।
खोकर राम की पहचान को
खुद रावण ये बन गये है।
अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगे।।

चारों तरफ हा हा कर मची है
फिर भी अंधा बेहरा बना है।
रस्सी जल गई देखा इसकी
फिर भी बल अभी गया नही।
अभी क्या ये देवी शक्ति का
फिर से इंतजार कर रहा है।
अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगे..।।

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ