इमान और चुनाव

इमान और चुनाव

जब करना मतदान तब इतना रखना ध्यान,
पांच किलो अनाज पर मत बेच देना इमान.
दस वर्षों के उसके कर्मों का करना हिसाब,
झूठा , नफ़रतजीवी का वोट से देना जवाब.
वो डरा रहा है,धमका रहा है बने रहो निडर,
गर इसबार चुके तो जीवन बना देगा नरक.
झूठ जुमला घृणा का चारो ओर है फैलाब,
माकूल वक्त है वोट का चोट दीजिए जनाब.
रोजी रोटी शिक्षा रोजगार सबका है सवाल,
सारे प्रश्नों का उत्तर देने को आता है चुनाव. 
 गिरीन्द्र मोहन मिश्र,
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ