हास्य दिवस
हास्य दिवस आज है आया ,खूब हॅंस लो और हॅंसा लो ।
हॅंसी खुशी आनंद जीवन का ,
मन में निज तुम बसा लो ।।
मुॅंह लटकाए क्यों खड़े हो ,
कुछ देकर कुछ तो पा लो ।
मुॅंह में लेकर यह हॅंसगुल्ला ,
कुछ खाकर कुछ खिला लो ।।
जीना है तो हॅंसना सीख ले ,
एक दूजे को खूब हॅंसा लो ।
एक दूजे को खूब हॅंसाकर ,
प्रीत की डोर उसे अपना लो ।।
ईर्ष्या द्वेष में तुम क्यूॅं पड़े हो ,
हॅंसी खुशी में खूब नहा लो ।
जीवन में तो यही बहुमूल्य ,
हॅंस लो खा लो और गा लो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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