"हम पुस्तकों की तरह हैं"

"हम पुस्तकों की तरह हैं"

मनुष्य, पुस्तकों के समान ही हैं। हमारी सतह, हमारा बाह्य रूप, अनेकों लोगों को आकर्षित करता है, परंतु गहराई में छिपे सार को समझ पाने वाले विरले ही होते हैं।


जैसे कुछ लोग केवल पुस्तक के आकर्षक आवरण को देखकर ही उसे खरीद लेते हैं, वैसे ही अनेक लोग हमारे बाहरी रूप-रंग, वेशभूषा और सामाजिक स्थिति के आधार पर हमारा मूल्यांकन कर लेते हैं। वे कभी भी यह प्रयास नहीं करते कि हमारे अंदर छिपे विचारों, भावनाओं और अनुभवों को समझने का प्रयास करें।


कुछ लोग, पुस्तक के परिचय और विषय सूची को पढ़कर ही उसकी संपूर्णता का अनुमान लगा लेते हैं। ठीक उसी प्रकार कुछ लोग हमारे कुछ शब्दों या कार्यों को सुनकर ही हमारे व्यक्तित्व का निर्धारण कर लेते हैं। वे कभी भी यह सोचने का प्रयास नहीं करते कि परिस्थितियों के अनुसार हमारा व्यवहार भिन्न हो सकता है और हमारे अंदर कहीं अधिक गहराई छिपी हो सकती है।


अनेक लोग पुस्तक समीक्षाएँ पढ़कर ही उस पुस्तक को अच्छा या बुरा मान लेते हैं। वे स्वयं उस पुस्तक को पढ़ने और उससे रूबरू होने का प्रयास नहीं करते। ठीक उसी प्रकार अनेक लोग समाज में फैली धारणाओं और आलोचनाओं के आधार पर ही हमारे बारे में राय बना लेते हैं। वे कभी भी यह जानने का प्रयास नहीं करते कि सच्चाई क्या है और हम वास्तव में किस प्रकार के व्यक्ति हैं।


लेकिन, कुछ सच्चे ज्ञान प्रेमी होते हैं, जो पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ को धैर्यपूर्वक पढ़ते हैं और उसके अंतर्निहित अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं। वे जानते हैं कि किसी भी पुस्तक का मूल्यांकन केवल उसके आवरण या परिचय से नहीं किया जा सकता। ठीक उसी प्रकार कुछ विरले लोग होते हैं जो हमारे बाहरी रूप से परे झांककर हमारे अंदर छिपे सच्चे स्वरूप को जानने का प्रयास करते हैं। वे जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति को उसके शब्दों या कार्यों से नहीं, बल्कि उसके विचारों और भावनाओं से समझा जा सकता है।


यह सच है कि हम सब किताबों की तरह हैं। हमारी सतह पर अनेक रंग और रूप हैं, परंतु हमारे अंदर छिपा ज्ञान और अनुभव अमूल्य है। यदि कोई व्यक्ति हमें गहराई से समझने का प्रयास करे, तो निश्चित रूप से वह हमारे जीवन से प्रेरणा और सीख प्राप्त कर सकता है।


अतः, हमें सदैव प्रयास करना चाहिए कि हम दूसरों को केवल उनके बाहरी रूप या समाज में फैली धारणाओं के आधार पर न आंकें। हमें सदैव गहराई से सोचने का प्रयास करना चाहिए और व्यक्तियों को उनके सच्चे स्वरूप को समझने का प्रयास करना चाहिए।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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