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परीक्षा : उम्मीदवार की या जनता की

परीक्षा : उम्मीदवार की या जनता की

डॉ. अवधेश कुमार 'अवध'
जनतन्त्र जनतामय होता है। जनता के बीच से जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि जननायक, जननेता, जनसेवक या ऐसे ही बहुतेरे विशेषणों से सुशोभित होता है। ग्राम पंचायत से संसद तक निर्वाचन की प्रक्रिया ही आधारभूत है। संविधान द्वारा निर्धारित मौलिक अर्हताओं को पूरा करके किसी भी एक पद के लिए दर्जनों उम्मीदवार मतदाताओं के समक्ष अवतरित होते हैं। वर्षों पुराना विरोधाभासी कथन आज भी चल रहा है कि निर्वाचन द्वारा उम्मीदवारों की परीक्षा होती है। सतही तौर पर सही लगते हुए भी यह आँख मूँदकर मक्खी निगलने जैसा है। दरअसल बात इसके विपरीत है।

सच तो यह है कि निर्वाचन प्रक्रिया में मतदान द्वारा पाँच साल (या जहाँ जो निर्धारित हो) की अवधि के लिए मतदाता की परीक्षा होती है। आरोप-प्रत्यारोप और ख़याली पुलाओं का लज़ीज़ व्यंजन लिए हर उम्मीदवार मतदाता को बहलाता है, फुसलाता है, बहकाता है, लुभाता है, धमकाता है या अलादीन का चिराग देने का दिवा स्वप्न दिखाता है.......। ऐसे लुभावने बाजार के बीच उपभोक्ता सरिस मतदाता को मतदान से पूर्व भलीभाँति अध्ययन करना चाहिए, अवलोकन करना चाहिए, चिंतन करना चाहिए। उम्मीदवारों के अतीत का लेखा- जोखा, वर्तमान के क्रिया- कलाप और भविष्य का निष्पक्ष पूर्वानुमान करना चाहिए। चयनित प्रतिनिधि से अपनी क्या अपेक्षाएँ हैं, यह पूर्ण विवेक के साथ निर्धारित होना चाहिए। एक मतदाता को इतनी तैयारी कर लेने के उपरान्त ही बहुमूल्य मतदान करना चाहिए। तब महसूस होगा कि मतदान करना मतदाता के लिए किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है। भविष्य की दशा और दिशा मतदान द्वारा ही तय होती है जिसपर एक निर्धारित अवधि व्यतीत करना होता है। इस अवधि का स्वरूप और परिणाम चयनित प्रतिनिधियों द्वारा तय होता है। ध्यान रहे कि परोक्षतः उसका जिम्मेवार मतदाता ही होता है।

इतिहास बारम्बार गवाह है कि जाति, सम्प्रदाय, क्षेत्र या किसी अन्य मोह में मतदाताओं ने जब भी गलत निर्णय लिया तो वर्षों तक दंड भुगतते रहे। कभी - कभी ये दंड इतने भयावह होते हैं कि उन्हें भुगतना मुश्किल और क्षतिपूर्ति असम्भव हो जाता है।उदाहरण के तौर पर 1990 का काश्मीर ले सकते हैं। अतीत की इन गलतियों से सीख लेकर अब चुनाव रूपी शस्त्र के प्रयोग का समय आ गया है। जनता को जागृत करें और उचित निर्णय लेने में सहयोग भी। अब किसी भी परिस्थिति में उचित उम्मीदवार को मत देकर परीक्षा में पास होना है ताकि भविष्य कुशल प्रतिनिधियों द्वारा संचालित हो।

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