अच्छा बनने से पहले कष्टों में पेला जाता है,

अच्छा बनने से पहले कष्टों में पेला जाता है,

सोना तपा आग में तब ही कुन्दन बन पाता है।
अच्छा हो सच्चा हो, जीवन बस परहित में ही,
अक्सर देखा अच्छा होना, अपनों से पीड़ा पाता है।


सीधा होता वृक्ष पहले, उसको ही काटा जाता है,
मीठे गन्ने को भी देखा, कोल्हू मे पेला जाता है।
है चाह घनी अच्छा बनकर, मानव हित काम करें,
बिन स्वार्थ कोई नहीं करता, आरोप लगाया जाता है।


अच्छा होना अच्छा होता, पर इतना तुमको ध्यान रहे,
गुलाब बहुत सुन्दर होते, पर संग संग काँटे सदा रहे।
अच्छा होता नीम वृक्ष, सदा गुणों की खान रहा,
गुणकारी है पर कड़वा भी है, इसका भी हमें भान रहे।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ