कटती नहीं है अपनी रातें,

कटती नहीं है अपनी रातें,

किसको दोष लगाऊँ ।
दूर देश बैठे हो प्रियतम,
मैं रोऊँ या गाऊँ ।।
सखियाँ सारी करे ठिठोली,
बोलें व्यंग की बोली।
वो क्या जानें प्रेम हमारा,
भरी प्रेम की झोली ।।
क्या तेरी तस्वीर हमारी,
प्यास बुझा पायेगी।
कांटा लगती मखमली सैया,
कैसे नींद मुझे आयेगी।।
पैसा अर्जित करने खातिर,
हमसे दूर गये हो।
सखियाँ सहेलियाँ ताना मारे,
तुम हमसे रूठ गये हो।।
पैसा थोड़ा कम हीं हो,
पर पास मेरे आ जाओ।
मेरा दिल अब बैठ रहा है,
नवजीवन दे जाओ।। 
जय प्रकाश कुवंर
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