बैठ घरों में सारे नेता, जनता हित की बात करें,

बैठ घरों में सारे नेता, जनता हित की बात करें,

झूठे भ्रामक दे आँकड़े, जनता मन की बात करें।
जनता है नाराज़ बताते, जो जनता से मिले नहीं,
सत्ता पाने की ख़ातिर, जनता के सुख की बात करें।


कोई कहता बढ़ी महंगाई, जन जन भूखा मरता है,
लेकिन कहने वाला खुद, होटल में भोजन करता है।
बेरोज़गारी का नारा देकर, कुछ जनता को भड़काते,
बनते ही नेता अपना घर, जो धन दौलत से भरता है।


गुण्डागर्दी बलात्कार पर, जो सरकारों को घेर रहे,
आतंकी पर कार्यवाही, सवाल पुलिस पर टेर रहे।
आतंकी के समर्थन में भी, धर्म जाति की बात करें,
बातों की बन्दूक चलाकर, हिन्दू मुस्लिम में फेर रहे।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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