देख; बटोही! यह बिहार है

देख; बटोही! यह बिहार है

मार्कण्डेय शारदेय
मिथिला बज्जी अंग मगध औ’ मलद-करूष विस्तार है।
    देख; बटोही! यह बिहार है।
वैदिक युग से आज तलक यह उपजाता है रत्न।
    मानवता के संरक्षण में करता यत्न-प्रयत्न।
जिधर देख तू उधर दिखेगा, जीवन का सुख-सार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
यहाँ तपस्वी ज्ञानी-ध्यानी एक-एक से हैं विद्वान।
न्याय-नीति है, शौर्य-शील है, दर्शन है, श्रम है, विज्ञान।
इसकी गुणवत्ता-सुगन्ध से व्याप्त सकल संसार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
याज्ञवल्क्य, गौतम, कश्यप औ’ कौशिक के तप से है पूत।
यह धरती है देती आई हरदम अनगिन गुणी सपूत।
किसी कार्य में इसकी सन्तति नहीं मानती हार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
जिसमें हुए विदेह, मोरध्वज, वर्धमान औ’ गौतम बुद्ध।
सदाचार से करते आए क्षण-क्षण जग को शुद्ध प्रबुद्ध।
महावीर औ’ दानवीर राधेय कर्ण शृंगार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
सिद्धाश्रम है यहीं जहाँ है हुआ खर्व हरि का अवतार।
राम-लखन का ज्ञानकेन्द्र है, उदधि-मथन गिरिवर मन्दार।
सीता-जैसी बेटी जिसकी, नारी-रत्नागार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
सुन; वैशाली बता रही है अपना पावन कुछ इतिहास।
लोकतन्त्र का आदि नियामक संघ-शक्ति का श्वासोच्छ्वास।
जन-गण-मन के प्रिय शासन का करती मन्त्रोच्चार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
जरासन्ध, श्रीचन्द्रगुप्त औ’ चणकपुत्र, सम्राट अशोक।
इनकी गाथा मगध सुनाता सुन ले, गुन ले तू बेरोक।
मिथिला से तू दर्शन ले ले इसका शुभ उपहार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
परमारों की वीरभूमि यह, जहाँ कुँअर की लख ले शान।
मुगलों से अंग्रेजों तक लड़-लड़ पाती आई पहचान।
गंगा, गण्डक, कोशी-जैसी नदियों की रसधार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
संस्कृत पाली प्राकृत औ’ अवहट्ट भारती पाती मान।
मगही भोजपुरी मैथिली बज्जी अंगी भाषाप्राण।
हिन्दी को गढ़ने में इसकी महिमा अपरम्पार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
विद्यापति का सदल मिश्र का दिनकर का अनुपम साहित्य।
सिखा रहा है रचना-कौशल काव्यहेतु भी पढ़ तू नित्य।
इधर भिखारी नाटक करते, उनका भी उपकार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
गयाधाम-से तीर्थ यहाँ हैं मन्दिर भी दर्शन के योग्य।
रह ले यहीं, नहीं जा भाई! पा ले जीवन का सुख भोग्य।
यह बिहार है, तू विहार कर सिख ले जो आचार है।
देख; बटोही! यह बिहार है।
इसकी धरती उपजाऊ है, हरे-भरे मोहक वन-बाग।
फल-फूलों से, रबी-खरीफ से खेतों में उपजे अनुराग।
यहाँ सांस्कृतिक उत्सव मनते, जन-जन में झंकार है। देख; बटोही! यह बिहार है।
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