भारतीय जन क्रांति दल ने ‘दारुल उलूम देवबंद’ के विरुद्ध भारत के गृहमंत्री को दिया ज्ञापन

भारतीय जन क्रांति दल ने ‘दारुल उलूम देवबंद’ के विरुद्ध भारत के गृहमंत्री को दिया ज्ञापन

पटना १८ मार्च को भारतीय जन क्रांति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने भारत के विरुद्ध युद्ध छेडने के लिए ‘गजवा-ए-हिन्द’ का फतवा जारी करनेवाले संगठन ‘दारुल उलूम देवबंद’ पर तुरंत प्रतिबंध लगाने और उसकी सभी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को कठोरता से समाप्त करने के विषय में महामहिम राज्यपाल महोदय के द्वारा भारत के गृहमंत्री जी को ज्ञापन सौपा |

ज्ञापन में कहागया कि एक ओर देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाकर विश्व की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहे हैं, और दूसरी ओर, ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने ‘गज़वा-ए-हिंद’ (भारत पर आक्रमण) के लिए फतवा जारी किया है । उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर में स्थित भारत की सबसे बडी इस्लामिक संस्था ‘दारुल उलूम देवबंद’ दक्षिण एशिया के सभी मदरसों का संचालन करती है । इन मदरसों से मुस्लिम छात्रों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है । सभी इस्लामिक संस्थाएं इस संस्था का अनुसरण करती हैं । इसलिए यह फतवा बहुत महत्त्वपूर्ण है और इस फतवे को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बहुत गंभीरता से देखा जाना चाहिए ।
*तदनुसार हम निम्नलिखित सूत्र आपके ध्यान में लाना चाहते हैं...

1. दारुल उलूम देवबंद ने यह फतवा अपनी वेबसाइट darulifta-deoband.com के जरिए जारी किया है । ‘दारुल उलूम’ की ओर से उर्दू में हुए सवाल-जवाब सत्र में यह फतवा जारी किया गया है । इस फतवे का एक वाक्य में मतलब है, ‘भारत के खिलाफ युद्ध छेडकर भारत को जीतना और पूरे भारत का इस्लामीकरण करना ।’ मोटे तौर पर कहें तो भारतीय मुसलमानों को भारत के विरुद्ध युद्ध छेडने का आदेश दिया गया है । गज़वा-ए-हिंद में ग़ज़वा का अर्थ है ‘इस्लाम के प्रसार के लिए युद्ध’। इस युद्ध में भाग लेनेवाले इस्लामी लडाकों को ‘गाजी’ कहा जाता है । ‘ग़ज़वा-ए-हिन्द’ का अर्थ है भारत में रहनेवाले काफिरों (गैर-मुस्लिम जैसे हिन्दू, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिख) पर हमला करना, उन्हें हराना और भारत पर विजय प्राप्त कर उन्हें मुस्लिम बनाना । दारुल उलूम देवबंद ने इस फतवे का खुला समर्थन करते हुए कहा है कि गजवा-ए-हिंद का फतवा इस्लाम के नजरिए से सही है । यह फतवा ‘सुनन-अल-नासा’ नाम की किताब का जिक्र करता है और कहता है कि इस किताब में ‘गजवा-ए-हिंद’ पर एक पूरा अध्याय है । इसमें हजरत अबू हुरैरा की हदीस का हवाला दिया गया है कि अल्लाह के दूत ने भारत पर हमला करने का वचन दिया था । उन्होंने कहा था, अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए खुद को और अपनी संपत्ति को कुर्बान कर दूंगा । मैं सबसे बडा शहीद होऊंगा । फतवे में यह भी कहा गया है कि अगर मैं वापस लौटा, तो मैं हजरत अबू हुरैरा मुहर्रर (यानी आग से मुक्त) होऊंगा ।’’ देवबंद की मुख्तार एंड कंपनी ने इस प्रसिद्ध पुस्तक को प्रकाशित किया है, ऐसा भी इस फतवे में कहा गया है ।

2. ‘दारुल उलूम देवबंद’ के कारण देवबंद को फतवों का शहर भी कहा जाता है । दारुल उलूम से जारी होनेवाले फतवे पूरे संसार के मुसलमानों का शरीयत के विषय में मार्गदर्शन करते हैं । ‘दारुल उलूम देवबंद’ के फतवा विभाग द्वारा हर वर्ष लगभग 7-8 हजार फतवे जारी किए जाते हैं ।

3. ‘दारुल उलूम देवबंद’ की स्थापना 30 मई 1866 को हाजी आबिद हुसैन और मौलाना कासिम नानौतवी ने की थी । अरबी शब्द दारुल उलूम का अर्थ है ‘ज्ञान का घर’। इसी कारण भारत समेत दुनिया के कई देशों से छात्र यहां इस्लाम की पढाई करने आते हैं; लेकिन इस संगठन ने अब भारत के विरुद्ध युद्ध की सीधी अपील की है ।

4. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मांग की है कि दारुल उलूम देवबंद के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए; क्योंकि यह फतवा देश विरोधी है । साथ ही यह फतवा जारी कर दारुल उलूम देवबंद ने सीधे तौर पर भारतीय संविधान, कानून और सरकार को युद्ध की चुनौती दी है । यह एक ‘आतंकवादी’ और ‘देशद्रोही’ कृत्य है।

5. यदि बच्चों को इस प्रकार से भारत विरोधी हिंसा की शिक्षा दी जा रही है, तो यह किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंघन है । बच्चों को हिंसा के लिए उकसाना बहुत खतरनाक है।

6. पहले से ही, धार्मिक त्योहारों के दौरान हिन्दू जुलूसों पर पथराव करके दंगे करना, हिन्दुओं की भूमि पर कब्जा करना, हिन्दू लडकियों/महिलाओं को ’लव जिहाद’ के जाल में फंसाना, हिन्दुओं को विस्थापित करना, स्व-धर्मवादियों की जनसंख्या बढाना आदि के कारण हिन्दू समाज का जीवन दूभर हो गया है । अब सीधे तौर पर भारत के खिलाफ युद्ध छेडने की बात हो रही है । इससे देश में अशांति फैल सकती है, कानून-व्यवस्था बिगड सकती है और गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । सरकार को इन सभी संभावनाओं पर विचार करना चाहिए और इस संबंध में कठोर कार्रवाई शुरू करनी चाहिए ।

इस संबंध में हमारी निम्नलिखित मांगें हैं-

1. भारत के विरुद्ध युद्ध छेडने के लिए ‘गजवा-ए-हिंद’ का फतवा जारी करनेवाले इस्लामिक संगठन ‘दारुल उलूम देवबंद’ पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और उसकी सभी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को कठोरता से कुचल दिया जाना चाहिए ।

2. ‘दारुल उलूम देवबंद’ से जुडे सभी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । संगठन के सभी वित्तीय लेनदेन पर रोक लगाकर, सभी कार्यालयों पर ताला लगा दिया जाना चाहिए और सभी दोषियों पर ‘गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम’ (यूएपीए) और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’ (एनएसए) का मामला दर्ज किया जाना चाहिए ।

3. यह पता लगाना चाहिए कि इस फतवे के पीछे किसका षड्यंत्र है । जांच के आधार पर दोषियों के विरुद्ध देशद्रोह के अपराध के अंतर्गत कार्रवाई की जानी चाहिए । 4. इस फतवे के किसी भी तरह के प्रसार पर रोक लगाई जानी चाहिए । जो लोग व्यक्तिगत रूप से या सोशल मीडिया पर इस फतवे को फैलाते हुए पाए जाएं, उन पर भी देशद्रोह का आरोप लगाकर कडी कार्रवाई की जाए ।
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