आओ बच्चों खेलें खेल

आओ बच्चों खेलें खेल

आओ बच्चों खेलें खेल,
चलो बनायें मिलकर रेल।

रामू तुम इंजन बन जाना,
सबसे आगे दौड़ लगाना।

सीता, गीता, सोनू, मोनू,
सबको तुम संग ले जाना।

ये सब मिल डिब्बे बन जाएँ,
दीपू तुम झंडी दिखलाना।

गाँव शहर से बढ़ती जाती,
देश प्रेम की अलख जगाती।

छुक-छुक,छुक-छुक चलती रेल,
आप बच्चों खेलें खेल।

सिखलाती है हमको रेल,
मिलकर रहते, बढ़ता मेल।

देश हमारा बहुत विशाल,
दिखलाती है हमको रेल।

आओ बच्चों खेलें खेल,
चलो बनायें मिलकर रेल।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
मुज़फ़्फ़रनगर
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