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मैं जब भी मिला हूं ,

मैं जब भी मिला हूं ,

केवल देखी हो , मुस्कुराई हो।
अपने दिल की बातें ,
मुझे कभी नहीं बतलाई हो ।
तुम्हारी मुस्कराहटें हीं
मुझे यहां खींच लाता है ।
मैं लाख चाहता हूं ,
पर पैर यहां रूक जाता है ।
मैं दूर से देखता हूं ,
तुम चौखट पर खड़ी हो ।
न जाने मेरे इंतजार में ,
यहां कबसे अड़ी हो ।
तुम्हारा कुछ नहीं बोलना ,
मुझे बहुत अखर जाता है ।
लेकिन देखकर मुस्कुरा देना ,
खुब मुझे भाता है ।
तुम्हारे प्रेम का यह तरीका ,
सबसे निराला है ।
बिना कुछ बोले कहे ,
यह दिल जीत लेने वाला है । 
जय प्रकाश कुंअर
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