एक परीक्षा के परचे- सा

एक परीक्षा के परचे- सा

डॉ रामकृष्ण मिश्र
एक परीक्षा के परचे- सा
बीता पिछला साल।
पता नहीं कैसे सलटेंगे
अगले प्राश्निक जाल।।
नयी चुनौती भरे‌‌ आकलन
कर्मठता के श्रम के।
कहाँ- कहाँ होंगे पड़ाव
‌‌‌षडयंत्रों के या भ्रम के।
बहुत सावधानी से होगा
पड़ना नया सवाल।।
अनगढ़ प्रश्नों के व्यूहों में
उलझा रहा प्रदेश।
हस्ति- न्याय से बिखर गया
उज्ज्वलता का संदेश।।
और जुगनुओं के बूते बस
होता रहा धमाल।।
पोथी की मौलिकता का
आशिक बेचारा सोया।
खुरचन प्रश्नोत्तरी बही में
सारा मंडल खोया।।
अभी प्रतीक्षा है शुभता की उड़ता रहे गुलाल।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ