प्रकाश पर्व पर होने वाले करोड़ों खर्च से पटना सिटी के बाशिंदों को नहीं मिलता है लाभ:-राकेश कपूर

प्रकाश पर्व पर होने वाले करोड़ों खर्च से पटना सिटी के बाशिंदों को नहीं मिलता है लाभ:-राकेश कपूर

पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने वयान जारीकर कहा कि गुरूगोबिन्द सिंह जी के जन्मोत्सव पर मनाए जाने वाले प्रकाश पर्व पर होने वाले करोड़ों खर्च का कोई स्थायी लाभ पटना सिटी के बाशिंदों को नहीं मिलता है।

मालूम हो कि 2017 में श्री गुरूगोबिन्द सिंह महराज के 350वें जन्मदिन के अवसर पर शुरू हुआ भव्य समारोह प्रतिवर्ष जारी है। समारोह की भव्यता के लिए सरकार ने सैकड़ों करोड़ रूपए से पटना व पटना सिटी को सजाया संवारा। बिहार सरकार ने गुरुद्वारा को उदारता पूर्वक सरकारी जमीन के साथ-साथ मां गंगा की जमीन को भी गुरुद्वारा को सौंप दिया जिसे उन्होंने भर कर कई नए निर्माण भी किये। यह निर्माण अनवरत जारी है।


उल्लेखनीय है कि 2017 में ही चौक थाना, टेलीफोन केन्द्र, पोस्ट आफिस और नारायणी कन्या विद्यालय परिसर को भी गुरू द्वारा को सौंपने की सरकारी योजना बनी थी। लेकिन जनसहयोग से जिला सुधार समिति ने पटना उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से इसे क्रियान्वित नहीं होने दिया। तब बिहार सरकार ने कटरा स्थित बाजार समिति का प्रांगण उन्हें सौंप दिया जहां आज गुरूद्वारा का प्रकाशपुंज निर्मित है। इसके अतिरक्त गुरु द्वारा प्रबंधन कमिटी द्वारा गंगा किनारे टेंट सिटी बनाकर यात्री को ठहराकर और लंगर चलाकर गंगा को लगातार प्रदूषित करने का आपराधिक कार्य किया जाता है।


यहां इस बात की ओर भी ध्यान आकृष्ट करना जरूरी समझता हूं कि गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटी द्वारा एक ओर तो सरकार से जमीन और ने सुविधाएं हासिल तो करती ही है साथ ही येन केन प्रकारेण गुरुद्वारा के आसपास की संपत्ति भी निरंतर खरीदने के प्रयास में लगी रहती है। वह सरकारी गलियों को भी अपने क्षेत्र के अंदर कर उसका अस्तित्व भी ख़त्म कर देने के प्रयास में लगी रहती है। इसमें उन्हें प्रशासनिक मदद भी मिलती रहती है।


जन्मोत्सव के अवसर पर अतिक्रमण हटाया जाता है। ईर्द गिर्द गलियों की मरम्मत और निर्माण कराया जाता है बिजली पानी स्वास्थ्य और सफाई की मुक्कमल व्यवस्था होती है प्रशासनिक महकमा पूरा सक्रिय रहता है। लेकिन खेद के साथ यह कहना पड़ता है कि आयोजन के उपरांत अतिक्रमण व अन्य की स्थिति ज्यों की त्यों हो जाती है। शहर की जनता फिर अगले साल का इंतज़ार करती है जब फिर अतिक्रमण हटाया जाएगा।


सच पूछा जाए तो अतिक्रमण हटाने का कार्य श्री लालू यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में हुआ था जिसका प्रतिफल चिड़याटाड़ का रेल लाईन पर बना पुल है। यद्यपि इसके उद्घाटन में श्री लालू यादव को निमंत्रण तक नहीं मिला था।

सरकार और उसके प्रशासनिक महकमे से अपील है कि शहर में अतिक्रमण स्थायी रूप से हटाया जाए ताकि जनता को दीर्घकालीन लाभ मिल सके।साथ ही बिहार सरकार सर्वधर्मसमभाव के साथ अन्य धार्मिक आयोजनों के प्रति यही उदारता दिखाए तो स्वागत योग्य कदम होगा।
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