वाराणसी में हिन्दू राष्ट्र-जागृति जनसभा में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ निरस्त करने की मांग !

वाराणसी में हिन्दू राष्ट्र-जागृति जनसभा में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ निरस्त करने की मांग !

  • श्रीरामनिंदकों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हेतु
  • ‘श्रीरामनिंदाविरोधी कानून’ बने ! - श्रीराम भक्तों की प्रखर मांग

वाराणसी - प्रभु श्रीराम, श्रीराम मंदिर, श्रीरामचरितमानस आदि श्रद्धास्थानों का निरंतर हो रहा अपमान रोकने हेतु तत्काल ‘रामनिंदाविरोधी कानून’ बनाया जाए, साथ ही अयोध्या में निर्माण हो रहे भव्य श्रीराम मंदिर की भांति देश के काशी, मथुरा, भोजशाला, कुतुबमीनार आदि असंख्य हिन्दू धार्मिक स्थलों को प्राप्त करने में आ रही बाधा दूर करने हेतु ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ तत्काल निरस्त किया जाए, ऐसी मांग यहां के शास्त्री घाट पर हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति जनसभा में की गई । जनसभा के अंत में यहां के जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी, माननीय गृहमंत्री तथा माननीय कानून एवं न्याय मंत्री को ज्ञापन सौंपा गया । इस समय वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष श्री. अजीत सिंह बग्गा, श्री. शीत लाल (आनंद), कोषाध्यक्ष जया केसरी, चमाव के पूर्व प्रधान जयप्रकाश सिंह,सर्व वैश्य जागृत महासभा के श्री. सुनील गुप्ता, अखिल भारतीय सनातन समिति के अध्यक्ष डॉ. अजय जायसवाल, श्रृंगार गौरी की वादिनी श्रीमती सीता साहू, संस्कृति रक्षा मंच राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. रवि श्रीवास्तव, शिवपुरी ब्राह्मण समाज श्री. राकेश चंद्र पाठक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अधिवक्ता रजनीश अग्रवाल, महावीर सेना के श्री. अरविंद गुप्ता, एकल विद्यालय इंडिया फाउंडेशन श्री. राजेश सिंह, हिन्द मजदूर किसान समिति श्री. राजेश कुमार, पूर्वांचल महिला व्यापार मंडल कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती सुप्रिया भट्टाचार्य सेठ एवं संयुक्त महामंत्री श्रीमती डॉली चक्रवर्ती, प्रदेश महामंत्री श्रीमती चांदनी श्रीवास्तव एवं संयुक्त महामंत्री श्रीमती निर्मला देवी, वाराणसी चौरसिया व्यापार मंडल के श्री. कैलाश नाथ चौरसिया, श्री. सुनील चौरसिया, काशी व्यापार मंडल के श्री. एस. एम बहल, हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत के मार्गदर्शक संत सद्गुरु श्री निलेेश सिंगबाळ, श्री. राजन केशरी तथा अन्य उपस्थित थे ।
‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ के काले कानून के कारण वर्ष 1947 से पूर्व हिन्दू मंदिरों पर किसी ने अतिक्रमण किया हो, तो उसके लिए किसी भी प्रकार का अभियोग अथवा अपील न्यायालय में नहीं किया जा सकता । ऐसा कानून संविधान विरोधी है । इसके विपरीत ‘वक्फ बोर्ड’ को किसी भी भूमि, संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित करने का पाशविक अधिकार दिया गया है । एक प्रकार से ‘मुसलमानों को फायदा और हिन्दुओं को कायदा’ ऐसे धार्मिक पक्षपात करनेवाले कानून तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए थे । इन कानूनों को केंद्र की मोदी सरकार निरस्त करे ऐसी मांग की गयी ।
‘भगवान श्रीराम मांसाहार करते थे’, ऐसे आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कई वक्तव्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु राज्य समेत देशभर लगातार दिए जा रहे हैं । सिर्फ भगवान राम की ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस को जलाने की कृत्य हो रहे हैं । श्रीराम मंदिर के स्थान पर पुनः बाबरी निर्माण के सपने ओवैसी द्वारा मुसलमानों को दिखाए जा रहे हैं । भगवान श्रीराम भारत के आराध्य देव हैं । जब श्रीराम मंदिर में श्रीराम विराजमान हो रहे हैं, तब समाज में कोई भगवान श्रीराम का अपमान करने की हिम्मत न कर सके, यह देखना प्रत्येक का कर्तव्य है । हालांकि इस कानून का नाम ‘रामनिंदा’ है, लेकिन इसमें किसी भी देवता के विषय में अपमान न हो ऐसा प्रावधान किया जाए यह अनुरोध जनसभा के माध्यम से किया गया ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ