कुछ खोते हैं कुछ पाते हैं

कुछ खोते हैं कुछ पाते हैं ,

हम आगे बढ़ते जाते हैं ।
बाधाएं जितनी आती हैं ,
वे स्वयं दूर हो जाती हैं ।
मन ठान लिया नहीं रूकना है ,
किसी के आगे नहीं झुकना है ।
तुम चाहो धर्म मिटाने को ,
हम चाहें धर्म फैलाने को ।
हिन्दूत्व हमारा अपना धर्म है ,
भारतवर्ष समझे इसका मर्म है ।
जो हिन्दूत्व मिटाने आएगा ,
वह खुद हीं मुंहकी खाएगा ।
तुम तोड़ोगे हम जोड़ेंगे ,
कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ेंगे ।
हम हिन्दू थे ,आज हिन्दू हैं ,
और हिन्दू हीं रह जायेंगे।
कोई धर्म बदलना चाहे तो ,
हम सहन नहीं कर पाएंगे ।
सनातन की छिड़ी लड़ाई है ,
अपनी मर्यादा बनकर आई है ।
इन विधर्मियों को सबक सिखाना है ,
हमें आगे बढ़ते जाना है । जय प्रकाश कुंअर
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