दहेज़ का एक रूप यह भी है जब बेटियां ही दहेज़ मांगती हैं.....
दीजिये ना दोष केवल वर पक्ष को
दीजिये ना दोष केवल वर पक्ष को,बेटियाँ भी मांगती हैं दहेज़ आजकल।
झूठा अहंकार और रौब गांठना,
बेटियाँ करती नहीं घर का काम आजकल।
तन्हाई का जीवन जीने की ख्वाहिशें,
बेटियाँ करती अलग बेटों को आजकल।
जाएँ कहाँ बूढ़े माँ बाप सोचिये,
घर से बाहर कराने का फैशन है आजकल।
मिलती नहीं कामवाली और नौकर जब कहीं,
सास ससुर को घर मे तब लाती हैं आजकल।
टोक दिया सास ससुर और पति ऩे कभी,
दहेज़ का हथियार चलाती हैं आजकल।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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