गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रति
जिसने अपने चार लाल दे दिए भूमि पर,अपने वीर पिता को जिसने वारा था।
औरंगजेबी सत्ता से वह झुका नहीं,
जान हथेली पर रखकर ललकारा था।
वीर पंच प्यारों को लेकर महाकाल बन,
कीट - पतंगों सा दुश्मन को मारा था।
सवा लाख से एक लड़ाने में काबिल,
दिया जोश से भरा हुआ वह नारा था।
बंदा बैरागी को जिसने दी दीक्षा,
अतुलनीय वह गुरु गोविन्द हमारा था।।
डॉ अवधेश कुमार अवध
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