पुरूष दिवस पर महिलाओं की खामोशी?

पुरूष दिवस पर महिलाओं की खामोशी?


महिला दिवस के अवसर पर, पुरूषों ने गीत सुनायें हैं,
सशक्त महिला सशक्त समाज, ख़्वाब नये सजाये हैं।
पिता पति भाई बेटा, सब सशक्तिकरण के बने समर्थक,
महिलाओं के आगे बढ़ने पर, गीत ख़ुशी के मिल गाये हैं।


पुरूष दिवस की बात चली तो, महिलायें ख़ामोश रही,
पुरूष सशक्त समृद्ध बने, क्यों महिलायें ख़ामोश रही?
क्या पुरूष की समृद्धि से, महिलाओं का मान घटेगा,
पुरूष जिये परिवार की ख़ातिर, महिलायें ख़ामोश रही।


क्या है खुद का किसी पुरुष पर, कोई तो बतलाओ,
इज़्ज़त शोहरत का लाभ किसे है, कोई तो बतलाओ?
पति बना अधिकारी कहीं तो, पत्नी का रुतबा बढ़ता है,
दो शब्द हमदर्दी में क्या घटता, कोई तो बतलाओ?

अ कीर्ति वर्द्धन
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