संयुक्त राष्ट्र: वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 'प्रगति अब भी अपर्याप्त'

संयुक्त राष्ट्र: वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 'प्रगति अब भी अपर्याप्त'


संयुक्त राष्ट्र ने 2015 के ऐतिहासिक पेरिस समझौते के बाद से जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रगति का अपना पहला आधिकारिक मूल्यांकन या ग्लोबल स्टॉक टेक जारी करते हुए दुनिया को एक चेतावनी सी दी है। यह मूल्यांकन रिपोर्ट सीधे तौर पर कहती है कि पेरिस समझौते के वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5C तक सीमित करने के लक्ष्य को पूरा करने के मामले में दुनिया के प्रयास पटरी पर नहीं।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, "1.5C के लक्ष्य को अपनी पहुंच के भीतर रखने की उम्मीद तेजी से कम हो रही है," और इस दिशा में प्रगति अभी भी अपर्याप्त है।
लगभग आठ साल पहले, पेरिस समझौते के अंतर्गत सभी देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए सहमत हुए थे। लेकिन संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि सभी देश शब्दों के साथ कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। वैश्विक उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है, कम नहीं हो रहा।
फिलहाल आगे बढ्ने से पहले कुछ बुनियादी बातें समझना ज़रूरी है।

क्या है ग्लोबल स्टॉक टेक (जीएसटी)?
ग्लोबल स्टॉक टेक वैश्विक जलवायु कार्रवाई का अब तक का सबसे व्यापक मूल्यांकन है, जो पिछले 2 वर्षों में वैज्ञानिक डेटा और सरकारों, कंपनियों, और नागरिक समाज के इनपुट से संकलित है। यह आकलन करता है कि हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्यवाही के मामले में कहां खड़े हैं और इस दशक के दौरान इस संकट से निपटने के लिए रोडमैप कैसा हो।

इससे क्या फर्क पड़ता है?
COP28 की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकारें इस स्टॉक टेक की सिफारिशों और चेतावनियों पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं। इस स्तर पर व्यापक आकांक्षात्मक लक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं। इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र एक "तकनीकी रिपोर्ट" प्रकाशित करेगा जिसमें सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों के इनपुट का सारांश होगा।

यह प्रक्रिया कैसे काम करेगी?
सितंबर की शुरुआत में रिपोर्ट जारी होने के बाद, देश इसकी समीक्षा करेंगे और सामग्री पर चर्चा करने के लिए मिलेंगे। प्रारंभिक रिपोर्ट उच्च-स्तरीय घटनाओं की जानकारी देगी और देशों द्वारा अगले कदमों पर और COP28 में लिए जाने वाले निर्णय पर रोशनी डालेगी। नवंबर में दुबई शिखर सम्मेलन से पहले एक "विकल्प पत्र" देय है। इस बीच दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क COP28 मेजबानों की ओर से जीएसटी परामर्श का नेतृत्व करेंगे।

आगे बात करें तो 1.5C लक्ष्य को पूरा करने के लिए, इस स्टॉक टेक रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि उत्सर्जन में 2019 के स्तर की तुलना में 2030 तक 43% और 2035 तक 60% की गिरावट होनी चाहिए। लेकिन इसकी जगह, रिपोर्ट की मानें तो, "आज तक उत्सर्जन आवश्यक वैश्विक मिटिगेशन मार्गों के अनुरूप नहीं है।"
यह गंभीर विश्लेषण पेरिस नियमों के तहत बनाए गए ग्लोबल स्टॉक टेक अभ्यास के हिस्से के रूप में आता है। इस वर्ष की शुरुआत से, देशों को हर 5 साल में अपनी सामूहिक प्रगति का मूल्यांकन करना चाहिए - जिसका उद्देश्य 2025 में घोषित होने वाली अपनी अगली जलवायु कार्रवाई प्रतिबद्धताओं को सूचित करना है।


विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्टॉक टेक निष्कर्ष एमिशन में आवश्यक कटौती के पैमाने के लिए एक "स्पष्ट खाका" प्रदान करते हैं। इस रिपोर्ट में आग्रह किया गया है कि सभी क्षेत्रों में "तेज़ी से डीकार्बोनाइजेशन" को उत्प्रेरित करने के लिए "संपूर्ण-समाज दृष्टिकोण" अब बेहद आवश्यक है।
साथ ही, इसमें बताया गया है कि जीवाश्म ईंधन को तेजी से समाप्त किया जाना चाहिए, वनों की कटाई पूरी तरह समाप्त हो जानी चाहिए, और क्लीन एनेर्जी को तेज़ गति से तैनात किया जाना चाहिए। लेकिन फिर भी, वार्मिंग को 1.5C तक सीमित करना आसान नहीं।
संयुक्त राष्ट्र का यह निष्कर्ष नवंबर में दुबई में होने वाले महत्वपूर्ण COP28 जलवायु शिखर सम्मेलन से कुछ महीने पहले ही सामने आया है। मेजबान देश यूएई ने प्रतिक्रिया में "महत्वाकांक्षा और तात्कालिकता" का आह्वान किया है। लेकिन मामले को गहराई से समझने वालों का मानना है कि अब केवल शब्द ही पर्याप्त नहीं होंगे।
क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव के ध्रुबा पुरकायस्थ का कहना है, “रिपोर्ट वर्तमान नीति और वित्त की कमी को दर्शाती है, लेकिन देशों की जलवायु योजनाओं और तापमान वृद्धि को सीमित करने वाले परिदृश्यों के माध्यम से आशा प्रदान करती है। यह सटीक तरीके से जलवायु लक्ष्यों के साथ-साथ ट्रांज़िशन, समानता, और समावेशन पर जोर देती है। लॉस एंड डेमेजेज़ के लिए वित्तपोषण की आवश्यकता है, क्योंकि सार्वजनिक ऋण कई विकासशील देशों पर बोझ है। लो कार्बन टेक्नोलोजी को स्थानांतरित करने से भारत में औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन में सहायता मिल सकती है।
आगे, क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला का मानना है, “रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि शब्दों कि कमी नहीं है, कार्रवाई ज़रूर अपर्याप्त है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इस दशक में वास्तविक कार्रवाई सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। भू-राजनीति के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है। दुनिया कमज़ोर पड़ रही है – इसलिए संगठित राजनीतिक इच्छाशक्ति ही इसका उत्तर है।"
टेरी के आर आर रश्मी की राय है, “रिपोर्ट वर्तमान एमिशन में कमी कि प्रतिज्ञाओं की अपर्याप्तता को रेखांकित करती है। पेरिस लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सभी को अधिक महत्वाकांक्षा और कार्रवाई की आवश्यकता है। निराशाजनक रूप से, इसमें महत्वाकांक्षा के अंतर को पाटने या जिम्मेदारी साझा करने के संकेत का अभाव है। G20 संभवतः महत्वाकांक्षा और वित्त से अधिक लक्ष्यों, प्रौद्योगिकी और परिवर्तन पर जोर देगा। प्रगति मजबूत एनडीसी पर निर्भर है।”


चलते चलते
अंत में ये याद रखना होगा कि ग्लोबल स्टॉक टेक रिपोर्ट देशों को उनके जलवायु कार्रवाई वादों पर ही ग्रेड देती है। फिलहाल ये ग्रेड अच्छे नहीं हैं. लेकिन जब जान जोखिम में हो तो हम असफल नहीं हो सकते। COP28 बैठक एक निर्णायक मोड़ होनी चाहिए। यह वह जगह होनी चाहिए जहां शब्द अंततः आवश्यक तत्काल कार्रवाई की शक्ल लें।
इस महत्वपूर्ण दशक में छोटे-छोटे धीमे कदम पर्याप्त नहीं होंगे। अभी चुने गए विकल्प आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेंगे। नेताओं के पास स्पष्ट विकल्प है - कदम बढ़ाएँ या अलग हट जाएँ और लोगों के अस्तित्व को राजनीति से ऊपर रखें। अब बहाने बनाने का समय खत्म हो गया है. विज्ञान स्पष्ट है, मार्ग निर्धारित है।
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