हिन्दू जागृत हुए, तो विश्व की कोई भी शक्ति हिन्दुओं की परंपराओं का अनादर नहीं कर पाएगी! - परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज, स्वस्तिक पीठाधीश्वर, मध्यप्रदेश

‘पशुप्रेम केवल हिन्दू यात्राओं में, ईद के समय क्यों नहीं ?’ विषय पर विशेष संवाद !

हिन्दू जागृत हुए, तो विश्व की कोई भी शक्ति हिन्दुओं की परंपराओं का अनादर नहीं कर पाएगी! - परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज, स्वस्तिक पीठाधीश्वर, मध्यप्रदेश

उज्जैन (मध्यप्रदेश) में निकाली जानेवाली भगवान श्री महाकाल की शोभायात्रा में हाथी सम्मिलित करने पर ‘पीपल्स फॉर एनिमल्स’ (PFA) के सचिव प्रियांशु जैन ने आपत्ति उठाई है । बकरी ईद के समय लाखों बकरियों की हत्या की जाती है । प्रतिदिन हजारों गायों की हत्या हो रही है । जैन समाज की शोभायात्राओं में ‘इंद्र-इंद्राणी’ की भूमिका में घोडे और हाथियों पर सवारी की जाती है । उसका विरोध नहीं किया जाता । भगवान श्री महाकाल की शोभायात्रा में हाथी पर की जानेवाली सवारी की परंपरा के संदर्भ में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा और भविष्य में भी शोभायात्रा परंपरानुसार ही निकाली जाएगी । हिन्दू जागृत हुए, तो विश्व की कोई भी शक्ति में हिन्दुओं की परंपराओं का अनादर नहीं कर पाएगी, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन उज्जैन के स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित विशेष संवाद ‘पशुप्रेम केवल हिन्दू यात्राओं में, ईद के समय क्यों नहीं?’ को संबोधित कर रहे थे ।

डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने आगे कहा कि, हिन्दुओं की सहिष्णुता का, उदारता का कोई दुरुपयोग कर रहा हो, तो वह स्वीकार नहीं किया जाएगा । हिन्दू धर्म, संस्कृति और परंपरा पर किसी ने भी आपत्ति उठाई, तो हिन्दुओं को संगठित होकर उसका विरोध करना चाहिए और हिन्दू परंपरा और धर्म की रक्षा हेतु स्वयं आगे बढकर प्रयास करने चाहिए ।

हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. नागेश जोशी ने कहा कि, हिन्दू धर्म के त्योहार-उत्सवों में पशुओं की पूजा होती है । अन्य धर्मियों के त्योहार उत्सवों में पशुओं की बडी संख्या में हत्या होती है । हिन्दुओं के त्योहार-उत्सवों में मानव और पशुओं में समन्वय साधा जाता है और एक-दूसरे के प्रति प्रेम निर्माण किया जाता है; किन्तु इस पर भी आपत्ति उठाई जा रही है । हिन्दू धर्म के त्योहार-उत्सवों में प्राणियों के साथ क्रूरता का व्यवहार किया जा है, ऐसा झूठ दिखाने का प्रयास किया जाता है । हिन्दुओं की प्रथा, परंपरों के संदर्भ में दुष्प्रचार किया जा रहा है । पेटा (PETA), पी.एफ.ए. (PFA) जैसी संस्थाएं केवल कुत्ते, बिल्ली, घोडे की रक्षा हेतु कार्य करती है; परंतु प्रतिदिन गायों की हत्या की जाती है । उसे रोकने के लिए यह संस्थाएं कुछ नहीं करती । केवल गोरक्षक उस हेतु प्रयास करते हैं । क्या गाय पशु नहीं है ? हिन्दू धर्म में जो पूजनीय प्राणी हैं, उनके लिए ये कुछ नहीं करेंगे । इससे यह स्पष्ट होता है कि ऐसे दुष्प्रचार एक षड्यंत्र हैं ।

जिस प्रकार सरकार ने पुरानी दंडसंहिता निरस्त कर भारतीय न्याय संहिता बनाई है, उसी प्रकार पश्चिमी विचारधारा से प्रेरित पशुओं के लिए वर्ष 1960 से कार्यान्वित पुराने कानून निरस्त कर भारतीय संस्कृति की विचारधारा से प्रेरित नए कानून सरकार को बनाना चाहिए, ऐसा भी श्री. जोशी ने अंत में कहा ।
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