माँ

माँ

नफरतें हृदय में गर कहीं, मिटा देती है,
प्यार की प्यास, ममत्व से बुझा देती है।
मंजिल की तलाश मे, मन हुआ व्यथित,
ममता की शीतल छाँव, माँ बैठा देती है।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ