बिहार दिवस

बिहार दिवस

भारतवासी हम भी तुम भी ,
हम में तुम में फर्क कहां है ।
बिहार सबका भला करता ,
फिर क्यों बनता नर्क वहां है ।।
प्रदेशों से ले विदेशों तक भी ,
सदा सबका सम्मान किया है ।
फिर भी बदले में ही वह तो ,
सर्वत्र सदा अपमान लिया है ।।
बिहार नहीं किसी हेतु बुरा ,
फिर क्यों आज बुरा बना है ।
क्या अपराध भला विश्व में ,
पूछने हेतु यह बिहार तना है ।।
क्यों होता बिहार संग बुरा ,
क्यों होता सौतेला व्यवहार ?
बिहारी संग ही मारपीट होता ,
बिहार झेलता दंश की मार ।।
बिहार उद्योग सफल बनाता ,
तुम्हें भी मिलता रोजगार है ।
नाम तो रौशन तेरा ही होता ,
बिहार तो केवल मददगार है ।।
तुम तो करते बिहार से ईर्ष्या ,
बिहार को तो सबसे प्यार है ।
बिहार तुम्हें इकरार है करता ,
बिहार से ही तुम्हें इन्कार है ।।
बिहार नहीं तो उद्योग नहीं है ,
मर जाओगे तुम भूखे प्यासे ।
बिहारी के बल उद्योग खुलते ,
बिहारी देख क्यूं फुलती सांसें ।।
बिहार से सर्वत्र होता बहार है ,
बिहार से ही होता विहार है ।
बिहार से ही तुम हो जीतते ,
बिहारी बिन तेरा ही हार है ।।
बिहार बनता सबका है हार ,
बिहार बिन तेरा ही हार है ।
एक‌ बिहार कारण सब जीते ,
बिहार हर जीवन का सार है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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