Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

ताउम्र भागते रहे, अब तनिक ठहराव आया,

ताउम्र भागते रहे, अब तनिक ठहराव आया,

बच्चे बड़े हो गये, अब थोड़ा बदलाव आया।
कब जीये हम खुद की ख़ातिर, कभी सोचते,
जवानी से अब तक गुज़रा ज़माना याद आया।

बोझ ज़िम्मेदारियों का कुछ था, कुछ उठाते रहे,
भविष्य उज्जवल बने, सोच वर्तमान बिसराते रहे।
पकड़ा नहीं ख़ुशियों का दामन, खुद की ख़ातिर,
घर परिवार बच्चों की ख़ातिर, ख़ुशी ठुकराते रहे।
चलते रहे हम धूप में, छाया में बच्चे चल सकें,
हम भले कष्ट सह लें, बच्चे आराम से पल सकें।
हो गये बच्चे बड़े, और फ़िक्र करते जब हमारी,
ख़्वाब को पूरा कर, हम हक़ीक़त में बदल सके।

बच्चे सँभालें नीड़ अपना, अब आज़ाद हैं,
हम देशाटन पर चलें, हम भी आज़ाद हैं।
बच्चों के संग कुछ समय, दुनिया जहान में,
रिश्ते निभायें, जिम्मेदारियों से आज़ाद हैं।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ