विधि के विधान का सम्मान करो
सूरज चांद सितारे कुदरत के सभी नजारे।
पर्वत नदियां बहारें खिले चमन सभी प्यारे।
खुशियों के दीप जला प्रेम मोती अधर धरो।
जीवन में सुहानी सी उमंगों का संचार करो।
विधि के विधान का सम्मान करो
इठलाती बलखाती धारा कल-कल बहता झरना।
चंद सांसों का खेल सारा कभी जीवन कभी मरना।
मन मयूरा झूम के नाचे मन में उल्लास हर्ष भरो।
सागर की लहरें कहती उत्थान को प्रस्थान करो।
विधि के विधान का सम्मान करो
सर्दी गर्मी वर्षा आते मौसम विविध रंग दिखलाते।
नदिया बहती झरने गाते सुरम्य वादियों वन हर्षाते।
उत्पत्ति विनाश हरिलीला उत्थान पथ उड़ान भरो।
चेहरे पे खुशियां आये दुनिया में शुभ काम करो।
विधि के विधान का सम्मान करो
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है
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