शिव

शिव

नाग वासुकी लपेटे,
गले सर्प की माला है।
त्रिनेत्र त्रिशूलधारी,
शंकर मनाइए।


डमरु कर में लिए,
नटराज नृत्य करें।
चंद्रमा शीश पे सोहे,
हर हर गाइये।


जटा गंगधारा बहे,
कैलाश पे वासा प्रभु।
गोरी संग गणेश को,
बारंबार ध्याइये।


त्रिपुरारी शिव भोले,
शंकर दया निधान।
हर हर महादेव,
कावड़ चढ़ाईये।


रमाकांत सोनी 
सुदर्शननवलगढ़ 
जिला झुंझुनूं राजस्थान
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ