भगवान शिव का अवतरण दिवस है महाशिवरात्रि

भगवान शिव का अवतरण दिवस है महाशिवरात्रि

सत्येंद्र कुमार पाठक
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी सह चतुर्दशी , महाशिवरात्रि , शनिवार विक्रम संवत - 2079 , शक संवत -1944 दिनांक 18 फरवरी 2023 , अयन - उत्तरायण , ऋतु - शिशिर ॠतु में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि की रात में शिव मंदिर में दीपक जला कर भगवान शिव की उपासना करने चाहिए । शिव पुराण के अनुसार धन के स्वामी कुबेर ने पूर्व जन्म में रात में शिवलिंग के समक्ष दीप प्रज्वलित करने के कारण देवताओं के धनाध्यक्ष हुए थे । महाशिवरात्रि पर पारद शिवलिंग घर के मंदिर में स्थापित कर शिवरात्रि में प्रारंभ कर प्रतिदिन भगवान शिव की उपसना से घर की दरिद्रता दुर और माता लक्ष्मी प्रवेश करती है। महाशिवरात्रि में ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी । माता पार्वती एवं भगवान शिव का मिलन दिवस महाशिवरात्रि को होने के कारण महाशिवरात्रि जागरण करने से सर्वांगीण मनोकांक्षा की पूर्ति होती है । शिवरात्रि पर स्फटिक के शिवलिंग की घर के मंदिर में जल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से स्नान कराने एवं दीपक प्रज्वलित कर ॐ नम: शिवाय का मंत्र जप कम से कम 108 बार करना आवश्यक है। भगवान शिव के अंशावतार हनुमान जी हैं। शिवरात्रि पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमानजी और शिवजी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। हनुमान जी की आराधना से उपासक की सभी परेशानियां दूर होती हैं। सुहागिन को सुहाग का सामान उपहार देने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। महाशिवरात्रि पर जरुरतमंद व्यक्ति को दान करना चहिए ।। शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि पर बिल्व वृक्ष के नीचे खड़े होकर खीर और घी का दान करने से महालक्ष्मी की प्राप्त कर जीवनभर सुख-सुविधाएं प्राप्ति कर और कार्यों में सफल होते हैं। शिव पुराण के अनुसार बिल्व वृक्ष महादेव का रुप है। फूल, कुम -कुम, प्रसाद आदि चीजें चढ़ाने से जल्दी शुभ फल मिलते हैं। शिवरात्रि पर बिल्व के पास दीपक जलाएं । स्कन्द पुराण के अनुसार शिवरात्रि का व्रत, पूजन, जागरण और उपवास करनेवाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। शिवपुराण में उल्लेख मिलता है कि महाशिवरात्रि के समान पाप और भय मिटानेवाला दूसरा व्रत नहीं है। महाशिवरात्रि करने से सब पापों का क्षय हो जाता है। भगवान शिवजी का पत्रम-पुष्पम् से पूजन करके मन से मन की शांति के लिए ॐ नमः शिवाय.... ॐ नमः शिवाय.... शांति से जप करते गये। इस जप का बड़ा भारी महत्त्व है। अस्सी प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ समाप्त होते है । ॐ नमः शिवाय मंत्र। वामदेव ऋषिः। पंक्तिः छंदः। शिवो देवता। ॐ बीजम्। नमः शक्तिः। शिवाय कीलकम्। अर्थात् ॐ नमः शिवाय का कीलक है 'शिवाय', 'नमः' है शक्ति, ॐ है बीज... हम इस उद्देश्य से (मन ही मन अपना उद्देश्य बोलें) शिवजी का मंत्र जप रहे हैं – ऐसा संकल्प करके जप किया जाय तो उस संकल्प की पूर्ति में मंत्र की शक्ति बढ़ती है ।
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