भक्त का भगवान से नाता है
जग के करतार, सारे जग का पालनहारा,
दो प्रभु मुस्कान लबों पे, सुनो सांवरा प्यारा ।
घट घटवासी अंतर्यामी, हाल पता है सारा,
मंझधार में डूबी नैया, प्रभु लगाओ किनारा।
कुदरत रंग बदलती है, क्यों लीला करते हो,
सबको जीवन देने वाले, सांसे क्यों हरते हो।
सकल चराचर स्वामी,त्रिपुरारी शिव शंकर,
रोग दोष व्याधि हर लो, अभयदान देकर।
गंगाजल सा पावन करो, हर हृदय प्रेम का सागर,
सद्भावो में मुरली लेकर, खूब नाचे नटवर नागर।
अमन चैन खुशहाली भरा, विकास रथ प्यारा,
महके कोना मेरे देश का, है मेरा भारत प्यारा।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़जिला झुंझुनू राजस्थान
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