विधायकों की नैतिकता पर सुप्रीम सवाल

विधायकों की नैतिकता पर सुप्रीम सवाल

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
विधायकों के दल-बदल का कानून बना है। कानून इसलिए बनाया गया था ताकि विधायक दल-बदल न कर सकें इसलिए एक संख्या तय कर दी गयी थी लेकिन अब तो थोक के भाव में दल-बदल किया जाता है। कोई तो इसे भगवान का आशीर्वाद बताते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि जन सेवा करने का ढिंढोरा पीटने वाले सत्ता की मलाई खाने से अपने को रोक नहीं पा रहे हैं। गोवा में दल-बदल के एक मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एमआर शाह ने टिप्पणी की जो विधायिका को शर्मसार करती है। जस्टिस शाह ने कहा हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गयी है। गोवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने 2019 में कांग्रेस और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के 12 विधायकों के दल बदलकर भाजपा में शामिल होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। उनको बाम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली थी। अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इसे सुनवाई के लिए अगले साल की सूची में शामिल करने का आदेश दिया है। गोवा में इस बीच एक बार फिर चुनाव हो चुके हैं और भाजपा ने सरकार बनायी है। सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि इस मामले में पुख्ता संवैधानिक इंतजाम होना चाहिए और विधायक भगवान का आशीर्वाद जैसा बहाना न बनाएं।

दल-बदल की दहशत कितनी है, इसका एक उदाहरण गत 8 दिसम्बर को देखने को मिला था। उस दिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो रहे थे। मतगणना के दौरान भाजपा और कांग्रेस नेक टु नेक लड़ते नजर आ रहे थे। हालांकि अंत में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत पाकर सरकार बनायी लेकिन मतगणना के समय कहा जा रहा था कि कांग्रेस अपने विधायकों को सुरक्षित रखने के लिये चण्डीगढ़ ले जाएगी। इसी तरह दिल्ली महानगर निगम (एमसीडी) के चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा को दूसरे नम्बर पर ढकेल दिया है। इसके बाद भी भाजपा नेता कह रहे थे कि मेयर तो हमारा ही बनेगा। दिल्ली एमसीडी के चुनाव भी किसी विधानसभा चुनाव की तरह ही धमाकेदार होते हैं। वहां पहले तीन मेयर होते थे। इस बार नियम बदल दिया गया और एक ही मेयर चुना जाएगा। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आरोप लगा रहे हैं कि उनके पार्षदों को खरीदने का प्रयास किया जा रहा है। यहां भी नैतिकता उसी तरह कठघरे में है।

गोवा में कांग्रेसी विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, अब हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है।ष् सुप्रीम कोर्ट दलबदल पर कानून के सवाल पर सुनवाई करेगा। ये सुनवाई एक साल के बाद होगी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ गोवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गिरीश चोडनकर द्वारा 2019 में कांग्रेस पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के 12 विधायकों के कथित रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। चोडनकर के वकील ने कोर्ट से मामले में शामिल बड़े कानूनी प्रश्न पर विचार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाल ही में कांग्रेस के 9 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। इस पर जस्टिस शाह ने कहा कि हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है। हालांकि ये कहते हुए कि मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है, पीठ ने निर्देश दिया कि इसे अगले साल सूचीबद्ध किया जाए, ताकि कानूनी सवालों पर विचार कर सके।

दरअसल गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने गोवा विधानसभा के स्पीकर के आदेश के खिलाफ याचिका पर, बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ये याचिका गोवा की नई विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से ऐन एक दिन पहले दाखिल की गई थी। गोवा विधान सभा में 2017 में हुए चुनावों के बाद 2019 में कांग्रेस के 12 विधायकों के बीजेपी में दल बदल को स्पीकर ने पार्टी का विलय मानकर मान्यता दे दी थी। स्पीकर की मान्यता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन वहां स्पीकर का फैसला ही मान्य रहा, तो उसे चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट आए याचिकाकर्ताओं की दलील है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पीकर के कदम को चुनौती देने वाली ठोस दलीलों को पूरी तरह अनदेखा कर दिया। गोवा में जो हुआ उसे पार्टी का विलय जैसा रूप दे दिया गया। हालांकि विधायकों का कार्यकाल नई विधानसभा के कार्यकाल के साथ ही खत्म हो गया, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नई विधानसभा चुनावों के नतीजे भी अस्पष्ट बहुमत आने की स्थिति के बाद विधायकों की खरीद फरोख्त की ही आशंका है। लिहाजा इस पर सुप्रीम कोर्ट को दखल देकर भविष्य के लिए पुख्ता संवैधानिक इंतजाम करना चाहिए।

गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रमेश तावड़कर ने कहा है कि राज्य में हाल ही में आठ कांग्रेस विधायकों के समूह का सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में विलय संवैधानिक नियमों के अनुसार हुआ। तावड़कर ने कहा कि हाल के समय में राजनीति का स्वरूप बदला है और राजनीति अब अधिक ‘जीवंत हो गई है। बीते 14 सितंबर को गोवा में कांग्रेस के 11 विधायकों में से आठ भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने कांग्रेस विधायक दल के भाजपा में विलय को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था।

पिछले महीने के राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर तावड़कर ने कहा कि विलय संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार हुआ। उन्होंने कहा, ‘पार्टी से दो-तिहाई विधायकों का समूह अलग हो गया, जिनका भाजपा में विलय हुआ। सब कुछ नियम पुस्तिका के मुताबिक हुआ। तावड़कर ने कहा कि जब कांग्रेस में यह विघटन हुआ, तब वह दिल्ली में थे, लेकिन उसी दिन वह राज्य की राजधानी पणजी लौट आए और सभी औपचारिकताओं को पूरा किया।

तावड़कर ने कहा, ‘यह अचानक हुआ। मैं समझता हूं कि उन्होंने भी यह फैसला अचानक ही लिया।

यह पूछे जाने पर क्या किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले विधायकों का बिना कोई चुनाव लड़े दूसरी पार्टी में चले जाना लोकतंत्र में स्वस्थ परंपरा है, तावड़कर ने कहा कि इन विधायकों को शायद लगा होगा कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) उन्हें न्याय नहीं दे पाएगी, इसलिए वे भाजपा में आ गए। उन्होंने कहा, ‘हाल के समय में राजनीति का स्वरूप बदला है। अब राजनीति अधिक जीवंत हो गई है। विधायकों को अपने कार्यकाल के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र के समग्र विकास के बारे में सोचना होगा।
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