कर रहे मन्दिर मे नमाजी की कल्पना,
बस एक बार मस्जिद में हवन कराईये। फुटपाथ पर बैठकर महलो की कल्पना,
दंगाईयों को कहो, इन्सान बन दिखाईये।
रोज ही तो लिखते हो, नयी गजल आप,
निर्दोष कटने वाले पशुओं का दर्द सुनाईये।
मन्दिर ने तो सदा ही यहाँ, सबको पनाह दी,
पत्थर चलाने वालो पर भी कलम चलाईये।
लगाते आग मुल्क मे, घुसपैठियो की खातिर,
घुसपैठिये बाहर निकलें, कोई गजल सुनाईये।
छोड कर निज धर्म हम, क्यों ईसाई बन रहे,
भूल कर संस्कार संस्कृति, सैंटा जैसा बन रहे|
देखा नही हमने कहीं, दीप दिवाली पर जले हों,
होली के रंगो मे रंगा, कोई भाई जैसा बन रहे?
करते हैं सम्मान सबका, धर्म अपना है सिखाता,
मेरे धर्म का भी मान हो, कोई धर्म ऐसा बन रहे?
देते मुबारक ईद की, क्रिसमस पर विश कर रहे,
छोड कर सनातन को कैसे, धर्मनिरपेक्ष बन रहे?
अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com