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बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में गीता जयन्ती एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद जयन्ती का कार्यक्रम किया गया

कठिनतम लक्ष्य को आसान बनाने की कला सिखाती है गीता - जगत नारायण शर्मा
युवापीढी के लिए गीताज्ञान सर्वतः अनिवार्य है - डॉ0 सुदर्शन श्री निवास शाण्डिल्य

 बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में गीता जयन्ती एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद जयन्ती का कार्यक्रम किया गया 
धर्माचार्य ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायणानंद की परसम्परा में बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ, सदाचार समिति और गीता ज्ञान संचरण समिति के संयक्त तत्वावधान में गीता जयन्ती एवं देशरत्न डा0 राजेन्द्र प्रसाद जयन्ती समारोह का आयोजन विद्यापीठ के सभागार में आयोजित हुआ।
इस अवसर पर गीता ज्ञान का प्रकाश करते हुए विद्यापीठ के संचालक सदाचार समिति के संरक्षक जगत नारायण शर्मा ने कहा कठिन से कठिनतम लक्ष्य को आसान बनाने की कला सिखाती है गीता। संयम नियम से कर्मशील होकर जीवन मे सफलता प्राप्त करने का मागे बताती है गीता। देश रत्न डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद की वाणी और उनके व्यवहार में चरितार्थ रहा गीता का ज्ञान। वे स्वयं गीता के मर्मज्ञ थे। गीताज्ञान के अनुकूल जीवन जीते हुए उन्होंने देशरत्न के रूप में उदात्त चरित्र और व्यक्तित्व का परिचय दिया।
वर्तमान में युवाओं के लिए गीता ज्ञान की प्रसङ्गिकता पर बोलते हुए डॉ0 सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य ने कहा
प्रतिदिन गीताज्ञान का संचरण होना चाहिए। ।
गीताज्ञान संचरण में सर्व कल्याण के लिए सदैव प्रतिबद्घ ज्ञान सन्देश अग्रसर है।
सर्वलोकहितेरताः यह गीताज्ञान का अप्रतिम अनुपम अद्भुत अद्वितीय विलक्षण अपूर्व उद्घोष है।
विशेष रूप से युवापीढी के लिए गीताज्ञान पूर्णतः सर्वतः अनिवार्य अपेक्षित है। किसी भी परिस्थितिजन्य परिवेश से विचलित विवश दुर्बल अशक्त न होकर लक्ष्य प्राप्ति के लिए सदैव तत्पर सन्नद्ध उत्साह सञ्चार ही गीताज्ञान है।।
अतः युवापीढी केलिए गीताज्ञान परम चरम आवश्यक आन्तरिक तत्व है।

सदाचार समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष सिंह ने कहा युवा भारत के लिए गीताज्ञान के महत्व को समझना जरूरी है। भगवान श्रीकृष्ण का गीताज्ञान जीवन के श्रेय और लक्ष्य से भटके हुए इंसान को सही मार्ग पर लाकर सफलता की मंजिल की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है गीता। इसलिए आज विद्यार्थियों के साथ साथ सबके लिए उपयोगी है गीता का ज्ञान।
योग विशेषज्ञ हृदय नारायण झा ने कहा योगेश्वर श्री कृष्ण का गीताज्ञान रोग रहित, तनाव रहित, अन्याय मुक्त जीवन जीने का सम्यक मार्गदर्शन देता है। इस अवसर पर
आरम्भ में विद्यापीठ के प्रबंधक देवेश शर्मा ने कहा धर्माचार्य स्वामी हरिनारायनानंद चाहते थे कि गीता ज्ञान का प्रचार जन जन में होना चाहिए इसीलिए उन्होंने सदाचार समिति की स्थापना की।
मंगलाचरण किया नितिन शंकर झा, विशाल कुमार, जितेंद्र कुमार, अभिषेक कुमार, सौरभ कुमार, आशीष कुमार, आयुष कुमार, दीपशिखा ने किया।
महंथ दिव्यानंद ,सुभाष तिवारी, विद्यापीठ के प्रवक्ता प्रभाकर चौबे, क तिवारी, रितेश कुमार, वन्दना कुमारी, संपूर्णानंद, विश्वनाथ पांडेय, पंचानन पांडेय, गजेंद्र चौधरी, मनोज कुमार सिंह सहित शताधिक विद्वान गीतानुरागी शामिल हुए। धन्यवाद ज्ञापन दिव्य रश्मि के संपादक डा0 राकेश दत्त मिश्र ने किया।
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