कोरोना की भेंट चढ़ेगी राहुल की यात्रा

कोरोना की भेंट चढ़ेगी राहुल की यात्रा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
  • केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कोविड गाइड लाइन का किया जाएगा पालन देशहित में यात्रा स्थगित करने की अपील
इसमें राजनीति तो है लेकिन उसे कोरोना का कवच पहना दिया गया है। कोरोना ने चीन से चलकर ही पूरी दुनिया को जकड़ लिया था। इन दिनों वहां फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। चीन की सरकार ने कड़े प्रतिबंध लगाए तो विद्रोह की नौबत आ गयी। मजबूर होकर सरकार ने कुछ ढिलाई दी। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल फरवरी से मार्च के मध्य कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। भारत भी सचेत हो गया। हालांकि यहां कोरोना को लेकर गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव से लेकर विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों के दौरान रोड शो, रैलियों में भी सतर्कता बरतनी चाहिए थी लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा भारी भीड़ जुटा रही है। अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राहुल गांधी को चिट्ठी भेजकर सावधान किया है कि उनकी यात्रा में वही लोग शामिल हो जिन्होंने वैक्सीनेशन करा लिया है। पूरी कोविड गाइड लाइन का पालन करने को कहा गयी है। कांग्रेस की तरफ से इसे राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है लेकिन कोरोना की गाइडलाइन का पालन तो करना ही होगा। सरकार को भी पारदर्शिता दिखानी होगी। बाजारों, मेलों और दफ्तरों में भी कोविड की गाइडलाइन का पालन कराया जाए तो हो सकता है कि हमारे देश को कोरोना की संभावित तीसरी लहर ज्यादा परेशान न करें।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने अशोक गहलोत और राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा से कोरोना के प्रोटोकॉल टूट रहे हैं। दुनियाभर में कोरोना तेजी से फैल रहा है, इसलिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाए. पत्र में कहा गया है कि यात्रा में सिर्फ वैक्सीन ले चुके लोग ही हिस्सा लें और मास्क व सैनेटाइजर का उपयोग किया जाए. साथ ही यात्रा में जुड़ने से पूर्व और बाद में यात्रियों को आइसोलेट किया जाए। अगर यह करना संभव न हो तो देशहित में यात्रा को स्थगित किया जाए। इस मामले पर अब सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की चिंता सिर्फ कोरोना वायरस नहीं, भारत जोड़ो यात्रा को लेकर भी बढ़ती जा रही है. पहले टी-शर्ट पर टिप्पणी की, दाढ़ी पर टिप्पणी और अब कोरोना का बहाना लेकर यात्रा को रोकने का प्रयास है। आप चिट्ठी क्यों लिख रहे हैं. आप राहुल गांधी से सीधे बात कर लीजिए। राहुल गांधी को कोविड प्रोटोकॉल समझाने की कोई जरूरत नहीं है। जब प्रधानमंत्री लिटी चोखा खाकर एग्जीबिशन में फोटो खिंचवा रहे थे तब राहुल गांधी ने सलाह दी थी कि कोरोना की सुनामी आने वाली है। स्वास्थ्य मंत्री को चिट्ठी लिखकर राजनीति नहीं करनी चाहिए. खत में कहा गया है कि यात्रा में सिर्फ वैक्सीन ले चुके लोग ही हिस्सा लें और मास्क व सैनेटाइजर का उपयोग किया जाए। साथ ही यात्रा में जुड़ने से पूर्व और बाद में यात्रियों को आइसोलेट किया जाए. अगर यब करना संभव न हो तो देशहित में यात्रा को स्थगित किया जाए।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से हरियाणा पहुंची है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी के प्रदेश प्रमुख उदय भान सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने यात्रा का राज्य में स्वागत किया। यह यात्रा 23 दिसंबर तक राज्य के अलग-अलग इलाकों से गुजरेगी। हरियाणा के नूंह जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश में दो विचारधाराओं के बीच लड़ाई कोई नई बात नहीं है, यह हजारों साल से चली आ रही है। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज लड़ाई दो विचारधाराओं के बीच है, एक विचारधारा चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाती है, जबकि दूसरी अन्य लोगों, किसानों और मजदूरों की आवाज उठाती है... और इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी की एक भूमिका है...।

यह भी सच है कि चीन में कोविड 19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, चीन की सरकार कोविड-19 प्रबंधन पर नियंत्रण खोती जा रही है...? महामारी विज्ञानियों ने सर्दियों के मौजूदा मौसम के दौरान चीन में कोरोनावायरस की कम से कम तीन लहरों के आने की आशंका जताई है। द हांगकांग पोस्ट की खबर के मुताबिक, निश्चित रूप से चीन की सरकार पूरी तरह तैयार नहीं थी, क्योंकि सरकार ने देशभर में जनता के विरोध प्रदर्शनों के बाद अपनी जीरो-कोविड पॉलिसी को अचानक खत्म करने का फैसला कर लिया था।

कोरोना से हुई मौतों की तादाद पर भी चीन की सरकार अब तक चुप्पी साधे बैठी है। बहरहाल, चीनी प्रशासनिक अधिकारियों ने आने वाले महीनों में कोविड संक्रमणों की लगातार लहरों की चेतावनी जारी की है, क्योंकि इस माह की शुरुआत में प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के मुख्य महामारी विज्ञानी वू जून्यू ने बीजिंग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, मौजूदा फैलाव इन्हीं सर्दियों में अपने चरम बिंदु तक पहुंचेगा, और एक के बाद एक तीन लहरों के रूप में आने वाले तीन महीनों तक जारी रहेगा... इस बयान की खबर सरकारी मीडिया में छपी रिपोर्ट के हवाले से द हांगकांग पोस्ट ने दी। वू जून्यू के मुताबिक, पहली लहर अब से जनवरी के मध्य तक चलेगी... दूसरी लहर के जल्द ही बाद में आने की संभावना है, जो 21 जनवरी से शुरू होने वाले चंद्र नववर्ष के लिए देशभर में सैकड़ों-लाखों लोगों की सामूहिक यात्रा से शुरू हो सकती है...।

रिपोर्ट के अनुसार, वू जून्यू ने भविष्यवाणी की कि चीन को लोगों के छुट्टियों से काम पर लौटने के बाद फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक तीसरी लहर का सामना करना पड़ेगा। चंद्र नववर्ष की छुट्टियों से पहले सामूहिक यात्रा से लहर शुरू होने की उम्मीद है, जो 21 जनवरी को पड़ती है, क्योंकि बहुत-से लोग इस वक्त अपने घरों को चले जाते हैं। हांगकांग पोस्ट की खबर के मुताबिक, यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि चीन के अस्पतालों में काम धीमा होता चला जा रहा है, क्योंकि वे दोहरी समस्या का सामना कर रहे हैं - बड़ी तादाद में रोगियों के आने से बिस्तर कम पड़ रहे हैं, और दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मी भी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। यही नहीं, मांग में लगातार बढ़ोतरी के चलते दवाओं का स्टॉक भी कम पड़ने लगा है। सरकारी मीडिया में छपी रिपोर्ट के हवाले से द हांगकांग पोस्ट ने बताया कि लोग उनके आसपास अनगिनत केसों के बारे में बता रहे हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ा सिर्फ 2,000 केस प्रतिदिन के आसपास ही बताया जा रहा है। पिछले ही सप्ताह राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कबूल किया था कि लक्षणरहित संक्रमण के मामलों पर नजर रखना ‘असंभव’ है और अब वह ऐसे संक्रमणों की गिनती नहीं करेगा। विशेषज्ञों ने आने वाले महीनों में कम से कम 10 लाख मौतों की भविष्यवाणी की है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बीमारी से छुटकारा पाने के लिए चीन की तैयारी अच्छी नहीं है, क्योंकि यहां बुजुर्गों के टीकाकरण की रफ्तार तेज नहीं हो पाई है अस्पतालों में आईसीयू क्षमता नहीं बढ़ पाई है, और एन्टी-वायरल दवाओं का भंडारण भी काफी कम है। इसलिए भारत को सतर्क तो रहना ही पड़ेगा।
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