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किसी को काजू बर्फी

किसी को काजू बर्फी

किसी को काजू बर्फी, किसी को पेड़ा भाया,
मेरे हिस्से में तो, बस बूंदी का लड्डू आया।
शुभ होता है लड्डू खाना, शुभ काम से पहले,
समझाकर पत्नी ने मुझे, लड्डू ही खिलाया।
कहने लगी बच्चों को, पसंद नहीं लड्डू,
बालूशाही इमरती भी, उनको न भाया।
आपके जमाने में, बस लड्डू का चलन था,
फिर अपने हाथ से, एक लड्डू और खिलाया।
देने पड़ेंगे नौकरानी या काम वाली बाई को,
महंगाई के दौर में, यूँ जाये न लुटाया।
आप खा लेना धीरे धीरे, रख दूंगी संभाल कर,
गणपति जी को तो सदा, लड्डू ही सुहाया।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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