सर्वोच्च शिखर सुंदरता

सर्वोच्च शिखर सुंदरता

--:भारत का एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र अणु
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क्या ये तुम्हे है पता
कि गलत मानी गई है यहां
नारी जाति की स्वतंत्रता
स्त्री धरती पर मानी जाती है रत्न
रहना पड़ता सजग और स - यत्न
नहीं तो मिटा देती है पुरुषार्थ
तथा निष्फल कर देती है प्रयत्न
फैलाने लगती हैं मलीनता
देने लगती है दीनता
जगा जगा कर मन में हीनता
करनी पड़ती है निगरानी
कि कहीं उठानी न पड़े बदनामी
रखना पड़ता है छुपाकर
कि कहीं हो न जाय कुपथगमी
जो भेष बदलकर घूम रहे है
दुष्ट,धूर्त,पाखंडी और कमी
मिटाने को मर्यादा की स्मिता
रक्षित होती है नारी
माता,पिता,भाई से बचपन में,
यौवन काल में पति से
वृद्धावस्था में पुत्र,पौत्र,परिजन से
सम्हाली जाती है हर विपत्ति से
तो कहीं बनती है वो
सुपुनिता जगत बंदिता
आज के तथाकथित स्त्रीवादी
अमाद है दिलाने को आजादी
उनका मकसद साफ है
वो है सनातन संस्कृति की बर्बादी
स्त्री गुलाम नहीं रही है कभी
बनी रही है वो देवी,शक्तिस्वरूपा
जीवन का सर्वोच्च शिखर सुंदरता
----------------------------------------वलीदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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