बहुत से लोग हमें तोड़ने में टूट गये : नेहा इलाहाबादी

बहुत से लोग हमें तोड़ने में टूट गये : नेहा इलाहाबादी

  • दिलों की हर इबारत पर मैं हिन्दुस्तान लिखता हूँ: अटल मुरादाबादी
  • जरा सोंचे ऐसा क्यों होता है: अकेला
  • फलक फाउंडेशन द्वारा अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन

औरंगाबाद से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर ।
"जब किसी का घर जला था मैं न थी,वो तो मेरा हौसला था मैं न थी।उपरोक्त पंक्तियाँ देश की मशहूर कवियित्री डॉ. नेहा इलाहाबादी ने फलक फाउंडेशन के वार्षिकोत्सव पर स्थानीय विज्ञान परिषद भवन के सभागार में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में गजल पाठ करते हुए कही। डॉ.इलाबादी की यह गजल काफी सराही गयी।
देश के मशहूर शायर डॉ.इलियास नवैद गुनौरी की अध्यक्षता, वरीय कवि साहित्य चंचल के कुशल संचालन एवं वरीय कवियित्री डॉ.नेहा इलाहाबादी के कुशल संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ.इलियास ने अपनी बेदना का बयां करते हुए फरमाया-"कई तो साथ चल नहीं पाये,पीछे छूट गये,बहुत से लोग हमें हमें तोड़ने में टूट गये।डॉ.इलियास की यह पंक्तियाँ काफी पसंद की गयी। बिहार के पटना से पधारे वरीय कवि अरविन्द अकेला ने अपनी रचना की इन पंक्तियों -"भारत माँ की गोद में पलकर हमसब जवान हुए हैं,बाहरी दुश्मनों से लड़कर हम काफी कुर्बान हुए हैं,उस समय हम एक बने थे,पर आज तो झगड़ा होता है,जरा सोंचे ऐसा क्यों होता है" के माध्यम से लोंगो को सोचने पर मजबूर कर दिया।
वरीय कवि साहित्य चंचल की कविताओं में जहाँ चंचलता देखने को मिली वहीं बिहार के सहरसा से पधारे शशिकांत शशि की कविता की इन पंक्तियों -" श्वेत कमल हो मेरी गजल हो,मैं तो तुझे बता न सका" में प्रेम व श्रृंगार देखने को मिला। मुरादाबाद से पधारे राष्ट्रीय स्तर के कवि अटल मुरादाबादी ने राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अपनी कविता की इन पंक्तियों-" दिलों की हर इबारत पर मैं हिन्दुस्तान लिखता हूँ,वतन की हर इमारत पर मैं हिन्दुस्तान लिखता हूँ" के माध्यम से अपनी अमिट छाप छोड़ी। कानपुर से पधारे युवा डॉ.कवि अजय कुमार सिन्हा की वाल मजदूर पर लिखी कविता की यह पंक्तियाँ -" वह दीन हीन सा बाल श्रमिक,वह प्रेम का निथार है,दुख जिसको जो मिला,अविवेक का प्रहार है" लोगों द्वारा काफी सराही गयी। बिहार के भागलपुर से पहुँचे युवा कवि मनोज सिंह गोल्डन की छोटी-छोटी कवितायें काफी सराही गयी।देखिये एक बानगी-"अखबार पढेंगे तो नींद उड़ जायेगी,बेहतर है इसे बिछाकर सो जायें हम"। वरीय कवियित्री बबीता पाण्डेय की श्रृंगारिक कविता की यह पंक्तियाँ -हाथों पे बस हाथ धरे,ख्वाब कुछ आँखों में भरके,हम चलेंगे आसमाँ के पार,प्रिय कहो क्या है तुम्हें स्वीकार "तालियों के बीच स्वीकार की गई।
उपरोक्त कवियों के अलावे जय प्रकाश रावत,मनोज फगवाडवी ,संतोष कुमारी संप्रीति,सविता सिंह एवं प्रतिमा शर्मा पुष्प की कविता तालियों के बीच काफी सराही गयी। कवि सम्मेलन के पूर्व आधुनिक भारत में हिन्दी की दिशा व दशा विषय पर आयोजित संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का उद्धाटन वरीय शिक्षाविद व शायर डॉ.इलियास नवैद गुनौरी,वरीय शायरा डॉ. नेहा इलाहावादी एवं वरीय कवि अटल मुरादाबादी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम के पश्चात समस्त कवियों व कवियित्रियों को " रत्न-ए-हिन्दुस्तान " सम्मान से सम्मानित किया गया।
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