शालीनता

शालीनता

शालीनता सुशीलता 
सौम्य स्वभाव बनाए 
संस्कार हमारे शुभ 
हो कीर्ति पताका गगन

विनय धीरज धर 
भाव विमल धार लो 
उर आनंद बरसे 
हरसे मन का चमन

बहती पावन गंगा 
प्रेम सिंधु ले हिलोरे
सत्कार मिले सबको, 
कर जोड़ करें नमन

सुंदर सी सोच रख 
विनम्र हो भाव प्यारे 
दमके ललाट सारा  
दिव्य ज्योति बन चंदन।

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान 
रचना स्वरचित व मौलिक है
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