अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन में जमकर बरसी तालियां, खूब लगे ठहाके

अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन में जमकर बरसी तालियां, खूब लगे ठहाके

दीपावली की पूर्व संध्या पर महाकाली पूजा समिति जयपुर के प्रांगण में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया जिसमें देश के नामचीन कवि-कवयित्रियों के साथ-साथ स्थानीय कवियों ने भी उपस्थित श्रोताओं-दर्शकों को काव्य रस से सराबोर कर दिया।
औरंगाबाद सदर के विधायक आनंद शंकर सिंह सहित अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर मंच का विधिवत उद्घाटन किया। काव्य मंच की अध्यक्षता गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह 'सुरेंद्र' तथा संचालन मशहूर उद्घोषक आफताब राणा ने किया। देश का उत्कृष्ट काव्य-मंच वाह भई वाह! पर अपनी स्वर लहरी के बूते सफलता का परचम लहरा चुकीं मिर्जापुर (यूपी) से पधारीं श्रीमती विभा सिंह ने अपनी सरस्वती वन्दना के माध्यम से उपस्थित जन समुदाय को भाव-विभोर कर दिया। हिमांशु चक्रपाणि की श्रृंगार रस से परिपूर्ण कविता 'अभी ठहरो सनम मेरे जरा सी शाम होने दे 'पर जमकर तालियां बरसीं। धनंजय जयपुरी की प्रस्तुति 'बिटिया है आंखों की पुतली जिसे प्यार से पाला है' ने उपस्थित लोगों के मन मानस में करुण रस का संचार कर दिया। नागेंद्र केसरी ने भूख एवं गरीबी से लबरेज कविता 'एक नन्हा बच्चा सोया था, मीठे सपनों में खोया था' का पाठ किया। विनय मामूली बुद्धि की व्यंग्यात्मक रचनाओं ने दर्शकों के मन मानस को झकझोर कर रख दिया,अनिल अनिल, पांडेय अकेला तथा इकबाल अख्तर दिल की रचनाएं भी खूब सराही गईं। देवरिया, उत्तर प्रदेश से पधारे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि बादशाह प्रेमी ने 'कुकुर भोज, सास बहू का झगड़ा, भोजपुरी के पर्यायवाची सहित हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण कई रचनाओं की प्रस्तुति दी और खूब ठहाके लगवाए। आगत कवियों ने समिति के सम्मानित अधिकारियों एवं सदस्यों यथा ओमप्रकाश सिंह,धर्मेंद्र सिंह, रामानुज सिंह, मिथुन सिंह, राजू पांडेय सहित अन्य ग्रामीण जन की कर्तव्यनिष्ठा के बल पर उत्कृष्ट कार्यक्रम कराने के लिए ढेरों बधाइयां दीं।
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