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सुंदर पर्वत व सुंदर कांड

सुंदर पर्वत व सुंदर कांड

सत्येन्द्र कुमार पाठक त्रेतायुग में लंका के क्षेत्रों में त्रिकूटांचल पर्वत समूह के सुबैल पर्वत क्षेत्र पर भगवान राम और राक्षस राज रावण का युद्ध स्थल , नील पर्वत क्षेत्र पर राक्षसों का निवास एवं महल , और सुंदर पर्वत के क्षेत्र में राक्षस राज रावण की प्रिय अशोक वाटिका थी । अशोक वाटिका में माता सीता रहती थी । श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण का सुन्दरकाण्डम एवं गोस्वामी तुलसी दास कृत रामचरितमानस का सुंदरकांड में अशोक वाटिका का महत्वपूर्ण वर्णन किया है।सुन्दरकाण्डम या सुन्दरकाण्ड का अध्ययन या पाठ करने से सर्वार्थसिद्धि की प्राप्ति होती है । पवननंदन व अंजली पुत्र रामभक्त हनुमान द्वारा माता सीता की खोज में त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी लंका में परिभ्रमण किया गया था ।त्रिकूटपर्वत समूह की सुंदर पर्वत क्षेत्र में स्थित अशोक वाटिका में हनुमान जी और माता सीता से मुलाकात हुई थी । अशोकवाटिका में माता सीता द्वारा हनुमान जी को अष्ट सिद्धि एवं नाव निधि का वरदान दी गयी थी । रामायण औरश्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड में भगवान श्रीराम के गुणों और पुरूषार्थ को दर्शाती लेकिन सुन्दरकाण्डम व सुंदरकांड श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है ! मनोवैज्ञानिक रूप में सुन्दरकाण्डम व सुन्दरकाण्ड मानवीय जीवन में आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला है | सुंदरकांड के अध्ययन एवं पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्ति एवं कार्य को पूर्ण करनें के लिए आत्मविश्वास मिलता है ! हनुमानजी की उपासना से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । शास्त्रों के अनुसार अंजनी पुत्र रामभक्त हनुमान जी की उपासना एवं सुन्दरकाण्डम व सुंदरकांड का पाठ मंगलवार व शनिवार को करने पर सर्वार्थसिद्धि प्राप्ति होती है । सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप से करते हैं, हनुमानजी समुद्र को लांघ कर लंका पहुंच गए | सुंदर पर्वत की अशोकवाटिका में रह रही माता सीता की खोज की, लंका को जलाया, सीता का संदेश लेकर भगवान श्रीराम के पास लौट आए थे । भक्त की जीत का सुंदरकाण्ड है । हनुमान जी अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकते है । सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र और व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है । वाल्मीकीय रामायण का चतुर्दश: सर्ग: के अनुसार सुंदर पर्वत में स्थित अशोक वाटिका में हनुमसन जी का प्रवेश , उसकी शोभा देखना तथा अशोक वृक्ष पर छिपे रहकर वहीं मस्त सीता का अनुसंधान करने का उल्लेख है ।हनुमान जी वसंत के आरंभ में सुंदर पर्वत एवं अशोकवाटिका में वृक्षों की डालियों के अग्रभाग फूलों से लदे ,साल ,अशोक ,निम्ब,और चंपा ,बहुवार ,नागकेसर, आम ,, पुष्प ,मंजरियों ,, सोने और चांदी। के समान वर्णवाले वृक्ष, पक्षियां , मृगसमूह ,, कोकिल , भ्रमर , मयूर था । अशोक वाटिका में विश्वकर्मा द्वारा निर्मित भवन , तड़ाग , शिंशपा अशोक लतावितानों अगणित पत्तो से व्याप्त और अशोक वृक्ष के सभी आर् से सुवर्णमयी वेदिकाओं से घिरा , सुंदर पर्वत से प्रवाहित होती झरने , गुफाएं थी । अशोकवाटिका में रामभक्त हनुमान जी और भगवान राम की भार्या सीता से चैत्यप्रसाद में मुलाकात हुई थी । संस्कृत साहित्य के आदिकवि वाल्मीकि रचित रामायण और गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस में सुंदरकांड की र्चसन कर रामभक्त हनुमान जी को समर्पित है।
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